गद्य - कुसुमावली | Gadya Kusumawali

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Gadya Kusumawali by बाबू श्यामसुंदरदास - Babu Shyamsundar Dasरायबहादुर बाबू हीरालाल - Raybahadur Babu Heeralal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रस्तावना ड़ समान सदैव ताजा हो जान पड़ता है। इस लेख में कंवल कविता ही की समालोचना नहीं की गई परंतु तक॑ सहित खोज के साथ कवि की जीवनी पर नवीन प्रकाश डाला गय। है जिससे जान पड़ता है कि तुलसीदास की मृत्यु प्लेग से हुई। कई नई बातें रघुबरदास लिखित तुलसी-चरित्र से प्रकट होती हैं। इस नवोन प्रंथ का उल्लेख मिलता है जिससे पता चलता है कि परिमाण में यह महाभारत की समता करता है । उसकी छंद-संख्या १ ३३ ६२ बताई गई है । महाभारत की श्लोक-संख्या श्रधिक से श्रधिक १ १० ५४५ बतलाई जाती है। तुलसी-चरित की कविता भी चरित्र-नायक की कविता से टक्कर लेती है । रघुवरदास तुलसीदास का शिष्य था उसके ग्रंथ की जाँच पूरी तौर से श्रभी तक नहीं हो पाई।. यदि ऐतिहासिक कसौटी से इसका व्रृत्तांत खरा निकला तो. तुलसी-विषयक अनेक बातों में बहुत हेर फेर पड़ जायगा । अ्रेत में ऊपर वशित श्रष्ट कुसुम के विकास करनेवाले का भी परिचय करा देना झ्रावश्यक जान पड़ता है । व्यक्तित्व भी कोई वस्तु है जिसकी माहर लगने से साख चलने लगतों है । हिंदी साहित्य-क्षेत्र में बाबू श्यामसुंदरदास की छाप लगने से प्रामाणिकता का श्राभास आ्रापसे आप उपस्थित हो जाता है । श्रापने संवत्‌ १९३२ वि० में जन्म ग्रहण किया श्रौर वाल्य- काल ही से श्राडंबर की श्रोर श्ररुचि दिखा शुक्ल परिधान का




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