भारत में पोर्च्यूगीज | Bharat Me Porchyoogij

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(४) तौन दे श्य हदयमें लेकर वास्कोडोगामा प्राव: एक वर्ष समुद्र को छाती प्र खेलते कूदते भ्रन्तमें कालोकट # के निकट आ- पईंचे। जेठ । के जलते इए आकाशके नोचे, ससुद्रकी छाती पर खड़े इोकर, भ्रस्ताचलकों जाते इए सूयको मन्द मन्द किरणोके उजे लेमें, भारतव्षंकों श्रसाष्ट छायामय समुद्र-तोर को भूमि चित्रको तरह देख कर, वास्करोडीगामा मारे खुशौके ईश्रका शुणालुवाद करने लगे । खान भौर काल दोनों वास्कोक श्रनुकूल थे। उन्होंने जब भारतवषषमें पढ़ापंण किया, तब समग्र भारतमें “दिल्लीः खरोवा जगदीखरोवा” [ प्रचारित नद्दीं हु था । उस समय * सालीकटका दावे पुलकके शिष भाग दिये हुए सदु्ाश वा 06000 में देखिये । प्र से 1 30ापदष, हद29 20, सजू98 ( सडद तारीख २० रविदार सम १४९५ ई0 सम्बयू ११४४ 1 चम समय, समय भारतवर्ष मुगलों का राज्य खापित गईं हुए था। चत्तामें मुश्श्रभानॉका राल था और दिए विजय गगरके राजा नरसिंहराल राश्य करते थे। जिन राजाओं भौर सामसोंसे पुतगीजोंसि प्रथम मिलाप हुमा वे सब हिन्दू थे । हा, वाशिज्यके भधिपति भवस्ध मुसलमान थे ; किलतु उनका शासभमों मिजकूश अधिकार नहीं थ।। 50006 [पछा5 जा हप्रात18 5001 सपना द एप, लाल तेटफुटाऐटा घाउंल 15 सिजाएंए दपार्इ 0. पैंफुवो-8 पा. धलाइहपुणलाएड 0 15 एट0प९55 रिणा। 7 दा दर हटा. डि0फ् फ्रिंद 060८ फैदििएडदए 565 -नारे 0 फिप0६& (९:1:22100 0 018 दे




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