हिंदी काव्य शास्त्र का इतिहास | Hindi Kavya shastra Ka Itihas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9.54 MB
कुल पष्ठ :
485
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[न
घतुर्थ श्रौर पंचम श्वथ्यायों में श्रावश्यक उद्धरणों की सामग्री ये ध्तिथ्ति
जिसका उल्लेख ययास्थान कर दिया गया है, ने वियेवन, मर्गी करण, सिंद्धान्त श्रीर
निशंय श्रादि में किसी था द्ाघार ने लेकर स्वतत्र विचार प्रस्तुत किये हैं | द्त' ये श्ध्याय
विस्तृत न दोकर सन्िप्त दी हैं । प्रस्तुत नियघ की मौलियता थोर मवीनता पर मुझे
इतना ही बदना दे । विशेष जो कुछ दे सय सामने दे 1
इस प्रकार प्रथम, दुसरे श्रौर तीसरे श्रथ्याय में यम तन सिसरी सामग्री ये श्याघार
पर काव्यश'स्र का दिन्दी साहित्य के श्ादि से श्राघुनिक काल तक का इतिहास
उपस्थित चरने का प्रयत्न किया गया हे । चउुर्य मे टिन्दी काव्य से सलन्द
प्रत्यों में पाये जाने बाले कान्वादर्श का विकास दियाते हुए, उसी की पृष्ठभूमि
देकर, श्र श्राधुनिक कालीन काव्यशाल्र के विविध श्रगों पर कवियों के विचार प्रस्तुत
कर, वर्तमान का सरूप देने का प्रवा किया गया दें (प्रथम तीन थष्याय
सूचनात्मक झधिक हैं तो श्न्तिम तीए श्रध्याय वियेयनात्मक । उनमें यदि इतिहास
की सामग्री सुरक्षित द्ोती है, तो इनमें श्वाधुनिक सादित्य की गति पिधि, प्रदति दौर
काव्यशारन सम्बधी धारणा स्पष्ट होती हैं और साहित्य के को एक ऐसा
इृष्टिकाण मिलता हैं जो फाव्यशासमस के मदत्व को स्पष्ट कर । दत” इस नियन्ध के
इन दा श्रष्यायों की द्ावश्यकता थी | इस नियन्थ का प्रारम्भ यद्यपि
स० १६६८ में ही कर दिया गया या पर सामग्री की प्राति में कठिनाई सौर विलस्व वे
कारण ही इतमें दीं फाल में वह पूग हो रुका 1 का यह प्रयल्र, लघु श्ौर अपूर्ण
ही है, पर उसे श्राशा है कि अन्य लेखक एक एक काल या घारा का इतिहास लिखकर
शीघातिशीघर प्राचीन सामग्री का उपयोग करेंगे |
इस अ्रथ के लियने म श्रनेक सज्ञनों, लेसका म्रीर 1वद्धार्ना से सद्दायता प्रात हुईं है,
लेखक उन सबके प्रति यपनी दार्दिव कतता प्रकट करता है | निशेष रूप से बढ लखनऊ
विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के यव्यक्ष, प्रोफेसर, डॉ. दीनदयाछु जी गुप्त का
झाभार मानता है निनदे पथ प्रदर्शन दौर से ही यह अप पूरा हु है, साथ
दी साथ चद्द डॉ० चनदेव प्रसाद मिशन, डॉ० धारिन्द्वर्मा श्र मिधयन्धुओं का मी फुतर
हे निदोंने सपने सुभावा विवेचनों, विचार दौर सम्मवियों से इस यथ को मूल्यवान,
बनाया ] दत्त मे सपने झधिक बह लखनऊ विश्ववियालय उप कुलपति श्राचार्य
शो नरेन्द्रदेद नी का ऋयी है निन्होंने न ब्वल य्रपने वक्तन्य से इस अय का गोरव
बढ़ाया है, बरन् इसे लखनऊ विश्वचियालय के प्रथम दिन्दीग्रकाशन के रूप में रघान
देकर; दिन्दी साहित्य ये अव्ययन को प्रदल प्रोत्लाइन य्रदान रिया है ।
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