सफलता और उसकी साधना के उपाय | Safalta Ki Aur Uski Sadhana ke Upay

Safalta Ki Aur Uski Sadhana ke Upay  by बाबू रामचन्द्र वर्मा - Babu Ramchandra Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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११ उसने उत्तर दिया फि इसके लिए किसी कार्य्यंमें निर तर लगे रहना ही वब्मावश्यफ और यथेप्ट हे । वेनजमिन फ्रॉंकलिनकी सम्मति ्ार भी ब्धिक उपयुक्त और माहा है । चह कहता हे-- कोई कार्य्य केयल इच्छा करनेसे दी नहीं वल्कि परिश्रम करनेसे होता हे । जो मनुप्य केवल झाशापर जीता है उसे भूखों मरना पड़ता है । बिना अ्रयासके कोई फल प्राप्ति नद्दीं दोती 1 जो व्यापार करता हे वह एक जागीरका मालक हे और जो पेशेपर है वह अच्छी झाय प्रतिछा का पदाधिकारी हे । पर इमें पने काममें अच्छी तरद और परि- श्रमपूर्वक लगे रहना चाहिए । यदि दम परिश्रमी हैं तो कभी हमारे भूसों मरमेकी नौयत न झावेगी। 2६ याद रकक्‍्यो परि- श्रम करनेसे ऋण घटता है श्रीर दाथपर हाथ रखकर बैठनेसे यढता हे । यदि तुम किसी यडी सम्पत्तिके उत्तराधिकारी नहीं दो तो कोई चिन्ता नहीं क्योंकि परिश्रम ही साभाग्यका जनक है और परिश्रमीकों ईश्वर सब कुछ देता है। ६ 2 श्राज परिश्रम करो न जाने कल तुम्ददारे मार्गमे कितनी रुका झा पड़े । एक झाज दो कल के बरायर है। जो फाम तुम कर सकते दो उसे कलके लिए मत छाडो । 3 ऐसी दशामें जब कि तुम्दे अपने अपने परिवार पने समान और श्पने देशके लिये वदत कुछ फरना हे तुम कभी हाथ- पर हाथ रखकर सुस्त न यनो । 2८ तुम्हें बहुत कुद फरना हो चर सम्भव है कि हुम्हा पास यथेप्ट साथन न हो तो भी तुम दढता- पूर्वक काममें लग जाओ श्रीर तथ तुम देसोगे कि उसका कैसा अच्छा परिणाम होता है। रस्सीकी निरन्तर रगढ़से पत्थर घिस जाता हे निर- न्तर परिश्रम फरके कीड़ा भी पत्थरमें घर बना लेता है और लगातार आघात पढ़नेसे बडे चढ़े पेढ़ फटकर गिर पद्ते हैं । एक दूसरे




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