प्रगतिवाद एक समीक्षा | Pragtivadi-ek Samiksha
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.9 MB
कुल पष्ठ :
235
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about धर्मवीर भारती - Dharmvir Bharati
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१२ प्रगत्तिवाद लक्ष्य था साम्यवाद की स्थापना । फिस्तु वह साम्यवा दे कया होगा केसे कायम किया जा सकेगा यह किसी के सामने स्पष्ट नहीं था । ने लिखा था इन साम्यबाहियों के सामने एक छी बात स्पष्ट थी--सामाजिक क्रान्ति । लेकिन उन्हें न उसका विज्ञान मालूम था न उसका रास्ता |? साम्यवाद को एक वैज्ञानिक रूप दिया काल माकस मे उसकी निगाह पैगस्बरों की निगाह थी | उसने बड़ी निर्ममता से पूँ जीवादी व्यवश्था के खोखलेपम को उधघाढ़ दिया उसके रेशेरेशे बिखेर दिए श्रौर कम्यूनिस्ट सेनीफ्रेस्टो में नहें दुनिया का निर्माण करने ये लिए प्रोलेटेरियित बा को एक सशक्त दिया । उसके ध्ाहान में नए. जीवन का महान सत्देश था | प्रसिद्ध जैन कि हाइने ने लिखा. था-- एक बार फिर क्रान्ति का निर्मम चक्र घूम रहा है । दस बार का बिद्रौद्दी झपने सभी पूर्वाधिकारियों से श्राधिक कठोर है । यहाँ कहीं भी नई जिन्दगी हो रही है वहीं इस ब्िद्वोही का श्ावास है |? सभी मद्दानू कलाकारों से साक्तबादी शान्दोक्षन सभ्यवाध का स्वागत किया | उसमें उन्होंने मु्ति की श्राशा देखी पू जीवाद के फौलादी पंजे में जकड़ी हुई . कला से. सोचना कि साम्यवाद में उसे .. अपने पंख फैलाने की स्वतंत्रता मिल सकेगी । साम्यवाद में माधव .. झात्मा का स्वस्थ विकास हो सकेगा । विशेषता रूस मैं जी गोल टाइतटाय चेखब श्रीर डास्ट।बस्की के ययार्थबाद से . के लिए झच्छी प्रष्ठभूमि तैयार कर दी थी मावसवाद का स्वागत .... हुआ शोर गोरकी ने जनता के दुख दंद॑ उठकी लड़ाई श्रौर मानबीयता कै चरम सत्यों का बड़ा. ही ममस्पर्शी चिंघण माक्सवादी भाषा में किया। लेकिन जैसा बाबा तुलसीदास बहुत पहले कह गये हैं -- राम से राम कर दासा मास के श्रनुयायियों से प्रगतिवाद श्र
User Reviews
No Reviews | Add Yours...