मुक्ति मार्ग | Mukti Marg

Mukti Marg by यज्ञदत्त शर्मा - Yagyadat Shrma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१२ मुक्ति-मार्ग जेसा कि उसने फ़ौंज में सोखा था । उसके कंधों पर एक थैली लटकी हुई जिसमें बच्चों के लिए कुछ-न-कुछ जरूर होगा । उसके एक तरफ़ भाइ पं चल रहे थे लंबे दुबले-पतले श्रौर निहत्थे-बिल्कुल वैसे ही जैसे कि इश्वर-मक्त को होना चाहिए | दोनों जेफ़रसन भाई श्रपनी रायफलें लिए हुए 3 पीछे थे | हेनिवाल वाशिंगटन भी श्रारहा था | जेम्स एएड्रयू फर्डिनेशड 5 कज़ेएडर हराल्ड बेक्स्टर श्रौर ट्रपर --ये लोग ऐसे थे जिनका कोइ खान्दानी हो नहीं था। धीरे-धीरे उनके मस्तिष्क मैं यह विचार भी श्रायेगा श्ौर नाम मी रख लेंगे । लेकिन खानदान का नाम सोचने श्रौर समभाने की प्व और इससे कई श्रादमी झ्ासानी से सन्तुष्ट नहीं होता | जेफ़ आनेवालों से सिलने के लिए सड़क पर दौड़ पड़ा श्रौर फ़ौरर लड़कों-लड़कियों श्रौर स्त्रियों का समूह उसके पीछे दौड़ने लगा । रेचल रही । उखने माकंस को भी गर्दन पकड़कर हरा लिया श्रौर उससे कहा कि कु ए से पानी खींचने मैं उसकी मदद करे ताकि गिडियन श्रपनी प्यास सके | उसको ज़रूरत नहीं थी कि वह नासमभ बच्चों की भाँति गिडियन के दौड़ हुई जाय क्योंकि वे एक-दूसरे को ऐसी छोटी बातों से नहीं बल्कि ऋ गहराई से समभकते थे । नवंबर के अस्त का तीसरे पहर का यह समय श्र कृत गर्म था । जब गिडियन श्रौर उसके साथी बस्ती में आरा उनके पसीना चू रहा था | रे्वल उनकी जरूरतों को समकती थी । उन्होंने कुँ ए का ठण्डा पिया श्रौर लकड़ी के प्याले उसके सामने बढ़ाने लगे । हरेक के दिल में _ न-कोई प्रश्न उठ रहा था श्र श्र्वानक वर्षा की-सी तीव्रता के साथ हर सी प्रश्नों का ऑ्राक्रमण शुरू हो गया । यह मतदान क्या बला है १ ? तुम खाली हाथ ही वापस झागये मतदान को अपने साथ नहीं लाये अच्छा तुमने मतदान को खुरीद लिया है न ? खुसीद कर उसके दाम भी चुका दिये होंगे १?




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