संसार की असभ्य जातियों की स्त्रियाँ | Sansar Ki Asabhy Jatiyon Ki Striya

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Sansar Ki Asabhy Jatiyon Ki Striya by विश्वम्भरनाथ शर्मा - Vishvambharnath Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१२ संसार की सभ्य जातियों की स्त्रियाँ पूर्ण सुन्दर सममी जाती है येदि उसका वर्ण काला हो जाय तो. अधिकांश की दृष्टि में बदसूरत हो जायगी । यह बात पृष्ठ ११ में दिये हुए चित्र से भली भाँति सम में रा सकती है । यह एक श्रास्ट्रेलियन खी. की प्रस्तर मूत्ति है । इस खी का रह काला है भर श्रसली सूरत में देखने पर यह बदसूरत दिखाई पड़ती है । परन्तु मूर्ति का रह श्वेत होने के कारण यह उतनी बदसूरत नहीं दिखाई पड़ती । केवल बण बदल जाने से इसकी बदसूरती में काफ़ी कमी हो गई । यूरोप के सौन्दर्थ विशारदों का कथन है कि वर्ण से सौन्दर्य की अधिक बद्धि अथवा हास नहीं होता । एक खी जो अन्य प्रकार से सुन्दर कही जा सकती है केवल वर काला होने से कुछ्पा नहीं मानी जा सकती । इसी प्रकार एक गोरी स्त्री जिसके नखदिख सुन्दर नहीं हैं केवल इसीलिए सुन्दर नहीं मानी जा सकती कि वह गोरी है । इस बात में बहुत कुछ सत्यता है परन्तु इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि केवल वरी से सौन्दर्य की बहुत कुछ त्रद्धि तथा उसका बहुत कुछ हास हो जाता है । एक अ्र्सन्त सुन्दर स्त्री का मुख यदि काला कर दिया जाय तो उसकी सुन्दरता उतनी न रहेंगी उसका बहुत कुछ हास हो. जायगा । इसी प्रकार यदि एक काली स्त्री जिसके नख दिख सुन्दर हैं गोरी हो जाय तो उसकी सुन्दरता पहले की अ्रपेक्षा बहुत कुछ बढ़ जायगी । अतएव यह सिद्ध हो गया कि नख शिख की सुन्दरता के साथ वर्ण की सुन्दरता भी सौन्दय वृद्धि के लिए झावश्यक है । शरीर को नाना प्रकार के अलझ्वारों से रहो से तथा श्न्य कलिम उपायों से सुन्दर बनाना ही श्यक्वार का असिप्राय है । श्य्वार का झादर भी संसार में भिन्न मिन्न है। यूरोप तथा अमेरिका की श्खगार . स्त्रियाँ मुख पर श्वेत पाउडर मल कर गालों पर हलका गुलाबी रह का पाउडर लगाती हैं। झ्रोटों को




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