बच्चों की प्राथमिक शिक्षा एवं विकास कैसे ? | Baccho ki Prathmik Shiksha Evm Vikas Kaise ?

Baccho ki Prathmik Shiksha Evm Vikas Kaise ? by डॉ. कंचन पुरी - Dr. Kanchan Puriमालती जोशी - Malti Joshi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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16 उच्चो की प्राथमिक्र शिक्षा एवं विकास कैसे ? दूसरी मा (उसका मतलब अपने स्नेहशील चाची से था) के पास कनाडा वापस चली जाना चाहती है । आखिरकार यह तय किया गया किं उसे बोर्डिंग स्कूल मे भेज दिया जाये । जब तक मा का ख्याल उसकी तरफ से अच्छा न हो जाये तब तक के लिए यह निर्णय अच्छा ही था । यद्यपि स्कूल मे सुचित्त होकर पढ़ने की बच्ची की क्षमता तथा छुट्टियो की खुशी पर उसकी मा के व्यवहार की प्रतिक्रिया का होना स्वाभाविक था| बहुत-से निष्क्रान्त बच्चो को तथाकथित सुरक्षित क्षेत्रों में बडा मानसिक क्लेश हुआ। कुछ बच्चो को तो साफ यह लगा कि नये घरों में उनकी क्रोई आवश्यकता अनुभव नहीं की जा रही है। कुछ को अपने माता-पिता और मित्रो की चिन्ता थी और कुछ इसलिये परेशान थे कि बोली और व्यवहार के एक निश्चित ढंग के कारण वे अपने आपको नये वातावरण के अनुकूल नहीं बना पा रहे थे । नतीजा यह हुआ कि कुछ बच्चों का बिस्तर गीला हो जाता, कुछ का स्वभाव चिडचिड़ा हो गया और वे जरा-जरा-सी बात पर बिगड़ जाते । इसके विपरीत कुछ बच्चो को घर वापस लौटने पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ा । इसका कारण यह था कि वे जिन घरो में शरणार्थी के रूप में रहे थे-उनमे उनको इतना प्यार मिला था कि अपने उन अभिभावकों को छोड़ना उनके लिये बड़ा कठिन हो गया। राजू 11 वर्ष का था--जब वह इग्लैड वापस आया । वह वापस आने पर बहुत दुखी हुआ । वह अपने कमरे को अन्दर से बंद कर चुपचाप बैठा रहता और किसी से कुछ भी नहीं बोलता । आखिरकार बच्चे की खुशी के लिए माता-पिता ने आपस में विचार कर यह तय किया कि राजू से कहा जाये कि यदि वह कनाडा रहना चाहता है तो वही चला जाये । जब राजू से कहा गया तो उसने कनाडा जाने से इन्कार कर दिया और बोला कि वह अपने घर ही मे रहेगा । माता-पिता को यह देखकर खुशी हुई कि राजू द्वारा किये गये स्वेच्छित निश्चय पर उसे धीरे-धीरे कनाडा की याद आना कम हो गया और वह अपने घर पर रहने का अभ्यस्त हो गया । जो बच्चे युद्धकाल में अमेरिका या कनाडा में रहे थे वे युद्ध के खतरे के बीत जाने के बाद जब घर वापस लौटे तो बिल्कुल भित्र थे । वे न केवल आयु में बडे हो गये थे बल्कि उन्हें कुछ ऐसे अनुभव हुए थे जिनका उनके माता-पित्ता को कोई ज्ञान नहीं था। इसका कारण दोनो देशों के बीच की वह दूरी थी जिसकी यजह से बच्चो और माता-पिता के बीच कोई निकट सम्पर्क शेष नहीं रहे गया था । ऐसे बच्चो का घर वापस आना बच्चो और उनके माता-पिता दोनों के लिए कठिनाइयां पैदा करने वाला सिद्ध हुआ । कभी-कभी तो उन कठिनाइयों का असर कई वर्षो तक बना रहा जब बच्चे बहुत दिनो तक माता पिता से अलग रहे तो उनके वापस लौटने पर यह बहुत ही जरूरी है कि बड़ों की तरफ से बच्चों का




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