महाकवि रसरासी | Mahakavi Rasrasi

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Mahakavi Rasrasi by डॉ. सत्येन्द्र - Dr. Satyendra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(ड) तक पहु चाना मात्र था-इस सफलता में सहयोगी व घुगणो मे प्राचाय श्री सीताराम पारीक रेवती रमणा शास्त्री, प्राचाय धी रामनिवास शाह रामजीलाल शास्त्री, डा० रामदत्त शर्मा प्रमृतति का नाम।कन करन को हुनय सहज रूप से स्वीवारता है । प्रावक्यन के लिए हिंदी-साहित्य के सूघ य विद्वादु साहित्य मनीपी राजस्थान विश्वविद्यालय के श्राचाय डा० थ्री सत्यद्र जी का झत्य त माभारी एवं कृतज्ञ हु जिहोने मेरी प्राथना सहज रूप से प्रथम दशन म॑ ही स्वीकार कर ली । इस कृति के प्रकाशन का श्र य देवनागर प्रकाशन क॑ श्री पवनच द सिघवी एवं श्री मनमोहन राज को है-जिहोंने भपने अयसाध्य प्रयासों से इस कवि को भ्रापके समक्ष प्रस्तुत करन का दुस्सहास क्या है । साथ ही साहित्यकार एवं कलाकार श्री प्रेमचद गोस्वामी वा श्रावरण की साज सज्जा के लिए झपना म्राभार व्यक्त करता हू 1 अन्त में कि रसरासि केय जोवन-परिचय एवं कृतियों के विश्लेपणात्मक परिचय को प्रस्तुत करता हुमा यह भाशा रखता हू वि. हिंदी साहित्य भ्रनुरागी गण इस उपेक्षित कवि का भ्रस्तित्व स्वीकार करते हुए उचित स्थान दे सकेंग । झाने वाला इतिहास भनीत की सस्क्रति का सरक्षण प्रदान कर वि के प्रति श्रद्धाकलि समर्पित गर सकेगा । शीघ्वतावश जिन जुटियां का समावश मुद्रण में हो गया है उस अयुविधा के लिए पाठक गण मुझे क्षमा कर सकेंगें । पादददासं आचार्य उमेश शास्त्री नुव-वंप १६७९२




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