ब्रज - लोक - साहित्य का अध्ययन | Braj Lok Sahithya Ka Aadhyayan

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : ब्रज - लोक - साहित्य का अध्ययन  - Braj Lok Sahithya Ka Aadhyayan

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about डॉ. सत्येन्द्र - Dr. Satyendra

Add Infomation About. Dr. Satyendra

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
अंजलौक साहित्य को अध्ययन 1] «शिल्प, दूसरे शब्दों में, जानपद्जन की भौतिक के साथ-साथ बोद्धिक संस्ति भी । मुख्यतः टेलर, फ्रेजर, तथा अन्य झंप्रेज पद- बेज्ञानिको के उद्योगों के परिणामस्वरूप, जिन्होंने यूरोपीय जानन- जन के मूढ़याहों और परम्परागत रीतिरिवाजो की व्याख्या करने के लिए तथा उन्हें समभाने के लिए निम्नस्तर की संस्इति मे मिलने वाले सीस्य के उपयोग करने की ओर विशेष ध्यान दिया, ंप्रेजी परम्परा में फोकलोर ( लोकवार्ता ) के क्षेत्र तथा सामाजिक जीवन-विज्ञान के क्षेत्र की कोई सूक्ष्म सीमा निर्धारित नहीं की जाती ' प्रयोग में साधारण प्रवृत्ति इस फोकलोर ( लोकवार्ता ) के क्षेत्र को संकुचित . अथे से सभ्य समाजो में सिलने वाले पिछड़े तत्वों की संस्इ्रति तक दी सीमित रखने की है ।” “ किन्तु इससे भी अधिक वैज्ञानिक परिभाषा शालंट सोफिया बने ने दी है। उन्होने भी इसका संक्षिप्त इतिहास दिया है। वह कहती हैं कि लोकवाती शब्द, शब्दार्थत: लोक की विद्या ( दी ल आव दी पीपिल )--१८४६ मे स्व० श्री डवल्यू० जे० थॉमस ने पहले प्रयोग मे अने वाले 'सावंजनिक पुराघृत्त' ( पापुलर एस्टिकिटीज़ ) शब्द के लिए गढ़ा था। यह एक विष जांति-बोधक शब्द की भॉति प्रतिष्ठित हो गया है ये




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now