हिंदी - कविता | Hindi Kavita
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
277
श्रेणी :
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No Information available about रामरतन भटनागर - Ramratan Bhatnagar
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका ७७
यथाथ चित्रण पर श्राश्रित है परम्त नये कवि को ऐसे वीर नायक का
चित्रण करना नहीं होता जो युद्ध-व्यवसाथी है या शस्त्र उठाकर
श्रात्मरक्षा के लिए /उतरता है । श्राज के वीर काव्य का रूप राष्ट्रीय
है । उसके मूल में भारत को स्वतन्त्र श्र महान बनाने की भावना
है । पिछुले श्रहिसात्मक श्रांदोलनों ने खड्ग, रक्तपात ्रौर प्रतिहिसा
को काव्य के क्षेत्र से भी निकाल दिया है । इसीलिए वीर काव्य के
लिए, उस प्रकार के भ्रनुप्रास-प्रधान काव्य की द्रावश्यकता नहीं रहो
जो भरूपण श्रौर सुदन ने हिन्दी को दिया है |
नेक नई भावनाओं के भी दर्शन हुए हैं । नये काव्य में देश के
प्रति भक्ति आर प्रेम, राष्ट्रीय और जातीय वीरों की गुण-गाथा
का गान, शपनी पातित दशा पर शोक, नारी स्वतन्त्रता के गीत, व्यक्ति
की श्राशा ऑ्ौर निराशा, प्रक्नीति के प्रात द्राकर्षण और प्रेम, रहस्यमयी
सत्ता की श्रनुभूति, प्रतिदिन के दैनिक जीवन का विश्लेषण, राष्ट्रीय
श्र जातीय समस्याएँ, प्रच्चुर मात्रा में उपस्थित हैं । नवीन परिस्थितियों
ने काव्य के लिए नये विषय दिये हैं । पूर्व मध्ययुग ने हमारे साहित्य
को भक्ति की घामिक भावना में बाँध रखा था, उत्तर मध्ययुग में उसे
संर दू.त श्राचायों के रीति-शास्त्र के विधि-विधानों ने जकड़ लिया था |
झब पहली बार वह व्यक्ति, कुटुग्ब, समातत और राष्ट्र से अंतस्तल
को छूने लगा हे और श्रंतर्रा्ट्रय भावनाएँ. भी कभी-कमी उसे
रुपंदित कर दिया करती हैं ।
चोत्र की इस विशालता श्रौर व्यापकता के कारण रत्न साहित्य
का केन्द्र काव्य नहीं रहा है, गद्य हो गया है । प्रमचन्द के उपन्यास
ही श्राज हमारे महाकाव्य हैं । १८५० ई० से पहले गद्य में बहुत
थोड़ा | लखा गया श्रौर जो लिखा गया वद्द किसी भी प्रकार मददव पूर्ण
नहीं है । तब काव्य और साहित्य पर्यायवाची जैसे थे । श्राज गद्य का
झत्यन्त महत्वपूण स्थान है । जो शक्ति , जो विभिन्नता, जो विशद्ता
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