न धर्म न ईमान | Na Dharm Na Iman
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
94
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दया
दया :
दिनेश
दया
दिनेश
न धर्म, न ईमान ए हर
जोहो।
(वनकर) पर फिर भी कभी-कभी सस्ताने को
जी चाहता है ।
[दिनेरा उसकी तरफ देखता है । दया चचलता से मुसक-
राती है। उसे मुसकराते देखकर टूसरी तरफ मुह करके
बंठ जाता है । दया वडे प्यार से उसकी तरफ देखती
रहती है । ]
नाराज हो ? मना लूँ? (वनावटी सोच
की मुद्रा मे ) कसे ? (फिर पलट कर उसकी ओर
चचलतापूर्वक देखते हुए और आगे वढते
हुए) माफी मांग ? हाथ जोड_ ? (झुककर)
पेर छुऊँ ? (दिनेश गुस्से से झटककर उसकी
तरफ देखता है। दया वनावटी डर से पीछे
हटती है । चचलता और ज्यादा हो जाती है 1)
नही-नही । पर कभी नहीं छऊँगी--किसी के
नहीं । तुम्हारे भी नहीं ' क्यो ? अब खुद हो
न? (वन्घा हिलाकर) बोलो । (आवाज़
नीची करके) देखो मूघे जाना है !
(विना देखे) तो जाओ ।
तुम नाराज हो और मैं चती गई हूं, ऐ
है?
(सट्सा तडपकर ) दया 1 (उसके हाय हायों मे ले
लता है।) मेरे इतना समझाने पर भी तुम इतनी
हारी, रतनो हीनता वी बात वयों करती हो *
ध दी
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