सौर उर्जा और उसके उपयोग | Saur Urja Aur Uske Upyog
श्रेणी : ज्योतिष / Astrology
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2.45 MB
कुल पष्ठ :
111
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
जय प्रकाश - Jay Prakash
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हरि प्रकाश गर्ग - Hari Prakash Garg
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)4 सौर ऊर्जा और उसके उपयोग में उन्हें ठीक करने की क्षमता थी। एक दिन आत्मा बीमारी के बहाने उस जा में प्रवेश कर गई। वहाँ पर बहुत-सी टोकरियाँ रखी थीं एवं प्रत्येक में एक-एक सूर्य रखा हुआ था। आत्मा ने वहाँ से एक टोकरी चुरा ली एवं पृथ्वी पर भाग आई। पृथ्वी पर आकर उसने इस टोकरी को आकाश में लटका दिया। परन्तु उसका प्रकाश ठीक से पृथ्वी पर नहीं पड़ रहा था इसलिए अभी तक वह आत्मा सूर्य को आकाश में भिन्न-भिन्न स्थानों पर लटकाती रहती है। ऐसी बहुत सी कहानियाँ लगभग हर समाज में प्रचलित रही हैं । इन सब पूजा-अर्चना करने वालों के साथ कुछ लोगों ने सूर्य का फायदा उठाने की भी सोची। 448 ईसा पूर्व के यूनान के निवासी अरिस्टोफेन ने अपनी किताब बादल में मोम की तख्ती पर लिखी हुई उधारी को सूर्य द्वारा पिघला कर मिटाने का विवरण दिया है। विख्यात्त वैज्ञानिक आर्किमिडीज ने 214 ईसा पूर्व सूर्य का उप्रयोग युद्ध में शस्त्र के रूप में किया चित्र 1.2 । उसने शीफ़ों के द्वारा सूर्य की किरणों को केन्द्रित करके रोमन जहाजों को दूर से ही भस्म कर दिया। बाद में सन् 77 में पलीनी की पुस्तक में रोमनों द्वारा शीशों का उपयोग आग जलाने तथा चिकित्सा के लिए मृत माँस को जलाने का विवरण मिलता है । बाद में कान्सटैन्टीनोपल ०7502 के घेराव में भी एक यूनानी निवासी प्रोकलस द्वारा जहाजों के जलाने का विवरण है। इसके बाद सूर्य के उपयोग का विवरण सन् 1615 में कोक््स द्वारा निर्मित पानी निकालने के लिए सौर इंजन का है। सन् 1695 में दो इटली निवासियों ने सफलता पूर्वक एक हीरे को सौर भट्टी में आवर्धक लेन्स भट्ट फ्रिएट हु 855 के द्वारा जलाकर दिखाया। सन् 1774 में जोसफ प्रिस्टले ने मरक्यूरिक आक्साइड को सूर्य द्वारा गर्म करके आक्सीजन का आविष्कार किया। उसी साल लैविशियर ने फ्रांस में एक बड़ी सौर भट्टी में प्लेटिनम जैसी धातु जिसका गलनांक 20000 है को पिघला कर दर्शाया। सन् 1872 में उत्तरी चिली में सूर्य द्वारा नमकीन पानी को सौर आसवन द्वारा पीने योग्य पानी में परिवर्तित करने का संयंत्र लगाया गया जिससे प्रतिदिन 5000 गैलन पीने योग्य पानी प्राप्त होता रहा । यह संयंत्र 40 वर्ष तक काम करता रहा । सभ् 1876 में बम्बई में 2.5 अश्व शक्ति 0156 का सौर भाप इंजन स्थापित किया गया। सन् 1880 में एक फ्रांसीसी ने सौर
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