हिंदी व्याकरण चन्द्रोदय | Hindi Vyakaran Chandrodaya

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Hindi Vyakaran Chandrodaya by रामलोचन शरण - Ramalochan Sharan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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६ ४ के शब्दों में विन्दीवाल कौन कौन अत्तर मिलते हें ? ५. किस किन अक्षरों के साथ बिन्दी आदि चिन्हों क। प्रचार सर्वत्र नहीं है ? अध्सरां के झद ९ 10905 01 . 6६६65 अक्षरों के दो मेंद हैं-स्वर और व्यञ्जन | २. स्वर उसे कहते हैं जो श्राप वोला जाय आर जिस कर सद्दायता से व्यजन का उच्चारण हो । जैसे-- अर आइईजउउऊचजचऊओणरए ओ जो ३. ब्यज्न उसे कहते हैं जिस का उच्चारण स्वर की सहाय- ता से दोता है चाहे यह व्यजन के पहले हो या श्रागे । जैसे- प+अन-प डझ्ानजन्श्ज । ऊपर क से ह तक सस्वर व्यज्नवण है व्योकि उच्चारण करने केलिये उनमें अर मिला दिया गया है | यदि स्वर नहीं पिलाव तो वे नीचे के रूपी में लिखे जायेगे | कखगघडू्चलछजभनजरण डदढ या ९. ५ ९ ७ ग बे ७ कि ७ रथ नि तथूद््धन प्फ्बम्‌मू यरलचबशपकसकट ० 4. अं _ चिन्द को दल अधात्‌ झा की माता के काटने का चिन्ह कहते है ४ शनुस्वार और विसगे भी व्यज्षन + हैं क्योकि ये भी अन्य व्यजनों के समान स्वर की सहायता से बोले जाते हैं । जैसे-झन - नें नव्आ श्रिन जून अज से मिलाजओो | | जतललकलपलकानर पककपिपपलपददणनलपपनपकपनिए वनाएंगंग गए अप पी आग कि का ही लि क+पलदलकपाक-ालनरिगि न गा न+४ पा का थर समय पर कम से च सूण न सु आर शु पूसूर होनाने इससे भी जानपढ़ना है कि ये व्यजन हैं




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