श्री भगवती सूत्र पर व्याख्यान छट्टा भाग | Shree Bhagwati Sutra Par Vyakhyan Chhtta Bhaag
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
355
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about श्री साधुमार्गी जैन - Shree Sadhumargi Jain
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्रीमगवती सुअर... [१७४२]
उनके बनने पर लोगों को खेती करने के लिए खेत पर जाने की
ब्मावश्यकता न रहेगी । घर में बैठे-बेठे हुक्म देने से ही मशीन
काम करने लगेगी और हुक्म देने पर काम करना बंद कर देगी।
उस वैज्ञानिक ने एसी मशीन बनाई है । पर उसके ांधि-
प्कार के संबंध में लोगों का मत है. कि इस तरह की मशीन का
प्रचार न दाना दी अच्छा है। नहीं दो संसार में: हाय दाय मच
जायगी। जिसके हुक्म से भशीन चढेगी वदद संयमी तो दोगा
नहीं, जो उसके उपयोग में संयम से काम ले । उसमें राग-द्वेप
होगा । राश-द्वेप से प्रेरित होकर वह दूसरों के गले काटने का
हुक्म देगा । इस प्रकार संसार में और ज्यादा मारकाट मच!
जाएगी । इस बात को दृष्टि में रखकर ही ज्ञानी कहते हैं कि
जड़-विज्ञान में ही न पढ़े रदकर चेतन्य-विज्ञान की 'ओर
श्राओ । जड़-विज्ञान से कभी शान्ति नहीं दो सकती । जड़-
विज्ञान से जितना बच सको, बचो । नददीं तो 'मशान्ति दी
'अशान्ति फेलेगी ।
विशिष्ट ज्ञान को विवेक कहते हैं, यदद बात तो हुई, लेकिन
विवेक का फल क्या है ? इस विपय में टीकाकार कहते हैं--
प्रयक बात विज्ञान से समभना 'और जो यागने के योग्य है उसे
त्यागकर प्रदश करने योग्य को श्रदण करना विवेक का फल है ।
शगर विवेक करके भी दसका उपयोग न किया तो विवेक निप्फल
User Reviews
No Reviews | Add Yours...