श्री भगवती सूत्र पर व्याख्यान छट्टा भाग | Shree Bhagwati Sutra Par Vyakhyan Chhtta Bhaag

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Shree Bhagwati Sutra Par Vyakhyan Chhtta Bhaag by श्री साधुमार्गी जैन - Shree Sadhumargi Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्रीमगवती सुअर... [१७४२] उनके बनने पर लोगों को खेती करने के लिए खेत पर जाने की ब्मावश्यकता न रहेगी । घर में बैठे-बेठे हुक्म देने से ही मशीन काम करने लगेगी और हुक्म देने पर काम करना बंद कर देगी। उस वैज्ञानिक ने एसी मशीन बनाई है । पर उसके ांधि- प्कार के संबंध में लोगों का मत है. कि इस तरह की मशीन का प्रचार न दाना दी अच्छा है। नहीं दो संसार में: हाय दाय मच जायगी। जिसके हुक्म से भशीन चढेगी वदद संयमी तो दोगा नहीं, जो उसके उपयोग में संयम से काम ले । उसमें राग-द्वेप होगा । राश-द्वेप से प्रेरित होकर वह दूसरों के गले काटने का हुक्म देगा । इस प्रकार संसार में और ज्यादा मारकाट मच! जाएगी । इस बात को दृष्टि में रखकर ही ज्ञानी कहते हैं कि जड़-विज्ञान में ही न पढ़े रदकर चेतन्य-विज्ञान की 'ओर श्राओ । जड़-विज्ञान से कभी शान्ति नहीं दो सकती । जड़- विज्ञान से जितना बच सको, बचो । नददीं तो 'मशान्ति दी 'अशान्ति फेलेगी । विशिष्ट ज्ञान को विवेक कहते हैं, यदद बात तो हुई, लेकिन विवेक का फल क्या है ? इस विपय में टीकाकार कहते हैं-- प्रयक बात विज्ञान से समभना 'और जो यागने के योग्य है उसे त्यागकर प्रदश करने योग्य को श्रदण करना विवेक का फल है । शगर विवेक करके भी दसका उपयोग न किया तो विवेक निप्फल




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