इन्सान के खराडहर | Insaan Ke Kharadhar
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.62 MB
कुल पष्ठ :
150
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)इस्सान के खर्डदर
“कौन-सी पारो चाकी घोती ?' गोस्वामी ने फीकी दोती हुई उम्रता
गाय पूछा ।
शाखी की नाभि के पास से सुस्वराइट उठी लिससे उसकी छाती
णल गई, पर उसका गला इतना स़ुश्क हो रद था कि सुस्कराइट होठों
तब नहीं शा सकी । ्
पत्ता नहीं, उस दिन पारो कदती थी. ' चह्द बोला ।
क्या कदती थी नुम से पारी ?'
शाख्ी को गोस्वामी का फीकापन देखकर फिर सज़ा 'घाया । पर
मन का स्वाद उसके होठों पर नहीं फैला, उसकी धॉँखों में
ढ़ गया ।
'फदती थी चंद मेरे लिये एक बोती लाई थी, पर श्ापने चद्द
पाले दरव ली, इसलिये
प्तो चद्द रॉढ तेरे साथ भी. । श्रौर यद्द भी” कद्कर गोस्वामी
ने घ्रनुभव किया हि उसने लीद कर दी है । बिना वात दढ़ाये उसने
एव की धघोती शाखी को दे दी श्र कहा, तुझे घोती चाहिये, सो ले
हो । पारो ठरानी की चातों का तू विश्वाप्त मत किया कर ।'
घोनी लेकर शाखी के सन सें इतना धानन्दू उसडा कि विभोर
ऐवर फार टुए स्वर से गाने लगा-'प्रथ्ु जी मोरे भ्वगुन चित्त
न चरों।
नीषे मंदिर की दददलीज़ के पास भक्तों की भीड काफ़ी वढी दो
गई थी । यटुत-मे धोनी वर्ते श्रोर पगढी चाले सज्जन ये, कुछ 'घोती
योर दापट्ट बाली देवियाँ, दो-एक तिकजे किनारे की साढ़ी वाली न
प्यादनाए, दो-एक गुल पायजासे धर चकान्नी गोन्ष टोपी वाले नोंजवान
एव रली शिया दाला घह्मचारी, एक सोने के बटनों वाला पहलवान
चार ाद-दस-- भगवान के घपन हो रूप -नन्द्व-नन्द बच्चे ।
धार सदक पर धयवार वेचने दाले चिल्ला रहे थे--मिलाप
मटाप, ड्िप्यून 'घग्द यार, श्वजीत पटिये, चीरभारत--तासी ता ख़बरें
।
हि दल
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