योग-चिकित्सा | Yog - Chikitsa
श्रेणी : योग / Yoga, स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
0.66 MB
कुल पष्ठ :
24
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)उपयोगी कसरत। .. -.... '. १५
अम्यासकों बढ़ाना चाहिए । पहले थोड़े दिनतक मनको याद दिलानी
पड़ेगी, परन्तु कुछ दिनोंके बाद अम्यास बढ़ जाने पर मन आप-ही-
आप स्राभाविक रीतिसे ध्यानस्थ हो जायगा | प्ररंतु जो साधक पूर्ण
आरोग्य और व प्राप्त करनेकी इच्छा रखते हों; उन्हें प्रतिदिन प्रातः
काल मनको स्थिर करके एक क्रिया करनी चाहिए । पहले तो ऊपर
कहे अनुसार शिथिठ होकर बाय मनको स्थिर करो, फिर अपने सामने
हनुमान् , भीष्म, रामभूर्ति अथवा और किसी महावलवान् पुरुषका चित्र
रखो । उसके शरीरके प्रत्येक अंगको प्रेमपूर्वक देखो और फिर नेत्र
बंद करके नीचे छिखे अनुसार कह्पना करो-” मेरा शरीर वज़के समान
इढ़ और दाक्तिमान् है । मेरे हाथ पैर और सब शरीरके रनायु कठिन,
मोठे और सशक्त हैं । मेरे दारीरके किसी भागमें भी रोग नहीं है | सम्पूर्ण
शरीर भलौकिक चेतनशक्तिप्ते परिपूर्ण है। '” इस बिचारको मनमें
खूब ह्विर करो । ऐसी कत्पना करके कि हम खत: वैसे हैं अपने
हाथ, पाँव और छाती पर हाथ फेरो । बाखार नाभिपर्यन्त दी्घ श्वास
छो । इस क्रियाको प्रतिदिन १० से १५ मिनिठतक करो ।
उपयोगी कसरत ।
संदेव विस्तरोंसे उठकर छत पर जाओ । यदि छत न हो तो कमेरेकी
सब खिड़कियोँ खोलकर एक छिड़्काकि सामने खड़े हो जाओ। फिर
अमृतमय वायुसे फेंफडोको भरो और तुरंत ही खाठी करो । इस प्रकार
दी श्वास-प्रश्नासकी किया जब्रतक वन सके, करो | जब फेंफड़े श्रमित
हुए माद्म पढ़ने ढगें, हृदय जोरसे धड़कने ठगे, और रक्त खूब तेजीसि
दौड़ने छगे तब इस क्रियाको बंद . कर दो और आराम करो | इस
प्रकार नित्य सबेरे और शामके समय खुली हवामें दी्घ श्वास-प्रश्वास
छेनेकी कसरत किया करो । .
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