शासन मुक्त समाज की और | Shasan Mukt Samaj Ki Aur
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
84
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)~ १६ -
विय परिखेद टूना शरौर सारी इनिया मं वह फैल ग्या) दुनिकासे
साजेतत्र प्त्मदो प्या!
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पते सत्मनदीभ्ि। सिफ़ंराजा ॐ हाथ से उसे छीनकर पार्तिमामट
के नाम से जनता के प्रतिनिधियो की सस्या वनादर उसके हाथ में
सौंप दिया श्रौर सौचा य हमरे श्रपने थाठमी के हाय में टेंड दे,
इसलिण फं सतय नदी । देदात में एक कद्यायत्त है, “संवों मये कोनगल
शान डर कादे वा 1? श्रथात् श्र चैन से सोया जा सकता है । जनता
मी प्रतिनिधियों को चुनस्र चैन से मो गयी} स्न्वि धवा पाव कादिमदर
नाहों' इस तत्व को बद मूल गयी । निश्चित जनता की सुम्ययरथा श्रौर
संचालन के द्रद्मने ये नये दड धारी झ्पनीं फशाल शक्ति वो लेकर
जन-नीयन के श्रथिक-में-ग्रथिक दिरमे पर बच्चा करने लगें । नतीजा यह
दग्रा कि यजतते के समय मे लोकत म जनता प्र द षा दल वदता
गया यानी उमरी श्रायादरी वरती गर्व । श्रर्यात् उसकी श्रामा श्रधिक
कुत श्रीर निर्देलिन दाने क्ली ॥
चारिक पति
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