मानक हिंदी कोष खंड 5 | Manak Hindi Kosh Khand 5

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Manak Hindi Kosh Khand-5 by रामचन्द्र वर्मा - Ramchandra Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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कं वतस में लगकर निम्नछिखित अथे देता है। क तुल्य समान । जेसे-- चद्रवत्‌। ख के अनुसार जैसे--विधिवत्‌। वतंस--पु० स० अब१/ तसू अलकृत करना घनू अब के अकार का लोप | अवतस। बत--अध्य० सं ०+५/वन्‌ सम्यक्‌ भक्ति करना | +-क्त नलोप १. खेद। २. अतुकम्पा। ३. सतोष। ४. विस्मय आदि. का वोघक छाब्द । बतन--पु० अ० १. जन्मभूमि। मूल वासस्थान। ३. स्वदेश । बतनी--वि०अ० 1१. वतन सवबधी। २. एक ही वत्तन में होनेवाला। ३. स्वदेशी । पु० किसी की दृष्टि से उसी के देश का दूसरा निवासी । वबतीतना--अ० सि० व्यतीत हिं० ना ित्य० | वीतना। गुजरना । उदा०--अवधि वतीती अजूं न आये।--मीराँ। स० चिताना। गुजारना। ब॑तीरा--पु० अ० वतीर १. ढंग। रीति। प्रथा। ३. टेव। लत । वतोका--प्त्री० सि० अव-तोक व० स० अब के अकार का लोप टापू जिसका गर्भ नष्ट हो गया हो। स्त्री वाँझ स्त्री | बत्स--पु० स० +/ वदु वोलना नस १८ गाय का बच्चा। वछडा | २. छोटा बच्चा। शिशु। ३ कस को एक अनुचर। ४. इन्द्र जौ। ५. छाती । उर। ६ एक प्राचीन देश । चत्सक--पु० स० वत्स+-कन्‌ स्त्री अल्पा० वत्सिका १. पुष्प कसीस । २. इन्द्र जौ। दे कुटज। निर्पु डी। बत्सतर--गु० स० वत्स+तरपू स्त्री वत्सतरी ऐसा जवान वछडा जो जोता न गया हो। दोहान। वत्सतरो--स्त्री० स० वत्सतर+डीवू ऐसी वछिया जो तीन वर्ष या उससे कम की हो। श वत्सनाभ--एु० स० वत्स९/नभु हिंसा +-अणु | एक प्रकार का जहरीला पौधा। बछनाग | वत्सर--पु० स० +/वसू निवास करना +सरन्‌ सस्य त वारह महीनों का समय । वर्षे। साल । वत्सल--वि० स० चत्स+-लचू | बच्चों विशेषतत अपने वच्चे से अनुराग रखनेवाला। बच्चो से स्नेह करनेवाला । पु० वात्सल्य रस। वत्सासुर--पु० स० वत्स-असुर मध्य० स० एक असुर जिसका वध श्रीकृष्ण ने किया था। वहिसिमा सदु --स्त्री० स० वत्स+इमनिचू वचपन। वाल्यावस्था। बत्सी ह्सिनु --वि० स० वत्स+-इनि जिसके वहुत से बच्चे हो। पुर चिष्मुत ः वत्सीय--पवि० स० वत्सन-छ-उईय वत्स-सवधी। पु० अह्दीर। ग्वाला। वथ्य--स्त्री०न्लवस्तु चीज । वदतो--स्त्री० स०१/वदू कहना न-झि--अन्तनडीपू कही हुई वात । कथन । २. चाल-ढाल । सुनने चघुका वद--वि० स० पूर्वपद के साथ आने पर वोलनेवाला। जैसे--प्रियवद । चदतोव्याघात--पु० स० अलुक्‌ तर्क मे कथन-सबधी एक दोप जो वहाँ माना जाता है जहाँ पहले कोई वात कह कर फिर ऐसी वात कही जाती है जो उस पहली वात के विरुद्ध होती है। वबदन--पु० स०+/ वदु कहना न-ल्युटू--अन १. कोई वात कहने की क्रिया या भाव। कहना। वोलना। २. मुंह । मुख । ३. किसी चीज के आगे या सामने का भाग। वदर--पु०न्त्वदर वेर । वदान्य--वि० स० १. वाग्मी। २ वात से सतुष्ट करनेवाला | वदाल--पु० स० +/वदु+-क घलये ल्वद९/ अल पुर्ण होना +-अचू १. पाठीन मत्स्य। पहिना मछली। २. आवर्तें। भँवर। चदि--अव्य० स० +/वदू+-इनु चादर मास के कृष्ण पक्ष में। बदी में । पु० कृष्ण पक्ष। वदितव्य--वि० स०+५/ वदु कहना न-तव्य कहे जाने के योग्य । जो कहा जा सके। बदी--पु० दे० वदि इषण्ण पक्ष । बदीतना।--अ० स०ल्तवतीतना। वबदुसना--स० स० विदूपण | १. दोप मढना। २ आरोप करना । ३ भला-वुरा कहना । खरी-खं।टी सुनाना । वद्च--वि० स०५/वदुभ-यत्‌ १ कहने योग्य। २८ अनिद्य । पु०१. कथन। वात। २. दइण्णपक्ष। वदी। वब--पु० स० १/ हनू हिंसा न-अपू वधादेण १. अस्त्र-दास्त्र से की जानेवाली हृत्या। २. पदुओ की हत्या करना। ३ जान-वूझकर तथा किसी उद्देश्य से की जानेवाली किसी की हत्या । बबक--पु० स०५/ हनुनवंदुनु--अक वघादेश १. घातक । हिसक। २. व्याव। ३ मृत्यु ४ दे० वधक | घवि० वध करनेवाछा । वबजीवी विनु --पु० स० वघ+/जीवू जीना न णिनि वह जो औरों का वध करके जीविका निर्वाह करता हो । वब्न--पु० स० हनु+अत्रतू वघादेशा वध करने का उपकरण । अस्त्र- शास्त्र । वघना--अ० सं ० वढद्ध॑न | वढना। उन्नति करना। स० सं० वध अस्त्र आदि की सहायता से किसी को जान से मार डालना | वबय-भूमि--स्त्री० सं० प०त० वह स्थान जहाँ मनुष्यों पशुओ आदि का वध किया जाता हो। चघामण --पु०न्ल्वधावा । चयालय--पु० स० वब-आलय प० त० | वह स्थान जहाँ पर मास प्राप्त करने के उद्देश्य से पशुओ का वध किया जाता है। वूचडखाना। स्ला- टर हाउस बधघिकोां--वि०न््वर्घिक। चघिन्न--पु० सि० +/ हनु+-डत्र वघादेग १ कॉमदेव। २ कामासचित 1 चघिर--वि० सं० बधिर वहरा। चथु--स्त्री०ल्ल्वथू। चदुका--स्त्री स० वू+-कनू+टापु द्लसव वथू । समासात




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