हिन्दी का मन - मन्दिर | Hindi Ka Man - Mandir

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Hindi Ka Man - Mandir by डॉ. सत्येन्द्र - Dr. Satyendra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ ४. के अन्तगंत आनेवाली कतिपय साखियों द्वारा कुछ संकेत भी इमें मिलते हैं। यदि अनंतदास की 'परचई' प्रामाणिक मान ली जाय और उसके लेखक का एतट्सम्बन्धी कथन भी सत्य निकल श्रावे, तो इस विषय में; “तीस बरस ते चेतन भयो के सहारे हम उनके जन्मकाल के लिए भी सम्वत्‌ १४५५-२० = संवत्‌ १४२५ दे सकंगे ओर वेसा होने पर कनीर साहब मेथिल कावि विदयापति ( सम्वत्‌ १४१७: १५०५ ) के समसामयिक दहो जायेंगे । ऐसी दशा में सम्भवतः इस अनश्रति की भी पुष्टि दोती हुई दीख पड़ेगी कि आसाम के प्रसिद्ध भक्त शंकरदेव ( सम्वत्‌ १५०६ १६९४) ने अपनी उत्तरी भारत की द्वादशवर्षीय तीथेयात्रा ( सम्वत्‌ १५४० १५५८२) के अवसर पर कबीर साहब की समाधि के भी दशन किए ये।, जन्म-तिथि की भांति दी जन्म-स्थान केविषय में काशी च्मरोर मगहर को लेकर विवाद्‌ है। विदित यह्द होता दे कि कबीरदास काशी में ही पेंदा हुए । कबीर की रचनाओं में उनके अपने जीवन के सम्बन्ध में आन्तरिक साक्षी के रूप में कुछ न कुछ सामग्री मिल दी जाती है | ऐसे उल्लेख यथाथतः प्रमाण अथवा स्पष्टाकरण श्रौर उदाइरण प्रस्तुत करने की शंत्ली में मिलते हूँ । इनके धार पर कबीर के जीवन का चित्र अंकित करते समय सबसे पदली बात तो यद्द विदित होती हे कि कबीर जुलाइ्वा । उन्होंने एक दी स्थल पर नहीं वरन्‌ कई स्थलों पर स्पष्ट शब्दों में यद्द घोषित किया है कि वे जुलादह्ा हूँ । कद्दीं उन्हों ने लिखा दे :-- १--उत्तरो भारत की संत परम्परा, प्रप्ठ ७३२-३ ३.




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