लोहिया के विचार | Lohiya Ke Vichar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
28.53 MB
कुल पष्ठ :
392
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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रत लाने, प्रपमार जब उनका डट कर विरोध किया जायेगा । श्रौर जब वे ऐसी लडाईइयाँ शुरू डी
र के हिए भरपरी करते थे तब उसका व्यापक महत्व न समभझ्त कर सत्ताधारी श्रौर निहित
दर मे भगीकार स्वार्थवाले उन्हे पागल कहने की स्थिति तक बौखला [उठते थे । भारत की
रब होता है कि सत्ताधारी शक्तियों का सदा ही यह प्रयत्न रहा है कि लोहिया के विचारों व
दिस लगातार सिद्धान्तो को जनता तक न पहुँचने दिया जाय, इसीलिए उपेक्षा, श्रपमान,
ताकत महीं मिध्या प्रचार श्रौर बदनामी के नुकीले भ्ररत्र-शस्त्रो द्वारा उनके मानस-शरीर
उमके बिलुत को सदा ही छलनी करने की सतत श्रमानवीय कोशिश की गई हे।
पादों के छिंलाफ वि
पाहैकि मुभे लोहिया श्रपने-श्राप मे स्वयं एक इतिहास थे ।
व का लोहिया की प्रतिभा, श्रोजपूर्ण॑ विचारों श्रौर कमं-सामर्थ्य से सामान्य
स्त्री-पुरुषो की प्रतिभा व कमें का सु्त साम््य श्रब जागृत हो उठा है । इसका
प्राशिक रूप में अब प्रत्यक्ष भी सिलने लग गया है । जलन-क्रास्ति की
य ही वें चिनगारियाँ छिंटकने लगी है श्रौर प्रतिक्रातिकारिता, स्थितिप्रियता श्र
के प्रयोग में दकियादूसी शक्तियों के श्रत होने का काल प्रारंभ हो गया है ।
सहयोग कभी 06
रा लोहिया मे प्रस्तुत ग्र थ लोहिया के कुछ सिद्धान्त-भूत विचारों का न्रमबद्ध व विषय-
गधा कि री घार सकलन है।
कृतियों को सम्पूर्ण श्राज्ञादी श्रौर समाजवादी विचारों के प्रति श्रास्था रखने वाले
काशर्न मिलती श्रौर लोहिया-फिजा से परिचित पाठक तथा लोहिंया की चमकीली प्रतिमा से
[ को चकाचौध उनके श्रालोचक भी इस ग्र थ में ऐसा सब कुछ पावेगे कि लोहिया को
तथा सर्फाई उनके विचारों के माध्यम से पूरी तरह जाना जा सके ।
के विरुद दो इन विचारों की पक्तियो के बीच लोहिया की एक श्रावाज सतत सुनाई
प्ण व सर्वर देगी, जो कभी टरटती नहीं श्रौर विश्व के दिगदिगन्त में गूंजती हुई नभमडल'
हा । को भी का गूंज से भर रही है ।
बंपोकि,
का गा लोहिया स्वय एक ऐसी तडप है; जो हर विद्रोही हृदय को भऋरककोर कर
की श्रागे बढने को उसकाती रहती है, एक ऐसी सचाई है; जो जीवन को कभी
पलायन नही सिखाती ।
श्रूविर्व्ण कक
की वे शमी लोहिया के विचार' पाठकों के सामने प्रस्तुत कर के मैं न केवल लोहिया-
तभी मै
पर ला पा न _ ब- नर
“पचास पा पिन
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