राष्ट्र-गीतांजलि | Rashtra Gitanjali

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Rashtra Gitanjali by कपिलदेव द्विवेदी - Kapildev Dwivedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रा्ट्रगानमु पु ३ रट-गानम्‌ ( गीतिका ) ( मात्रासमक जाति ( १) जन-गण-मद्धलदायक । जय हे 1 भारतदेश 1 सदा तव जय हे 1 ज्ञान-ज्योतिरयममृत-सूति , दक्ति-भक्ति-हूत गौरव-भूति ॥ जन०॥ (२) खग-रव-पुणं सुपमाऽऽकौ्णं , शस्य-श्यामखो गरिमोत्कीणं । वि्वज्ञानदो विद्व-प्रेम-दो विष्व-शान्ति-वन्पूत्वे-भावद 1 जन्‌० ॥ ( ३) हिमगिरि-दोभित-मज्जुल-मूत्ति विन्ध्य-दोल-दिखराचित्त-भूति 1 गद्धा-यमुना सिन्धु-नमदा- ताप्ती-कृष्णा-जकरूरव-हू्य ॥ जन० | ( ४) उत्कल-वद्ध-पञ्चनद-पुष्ट भसम-विहार-हार-सनुष्ट । उत्तर-मध्य-देश *-सपुष्ट , गुजं र-राजपुन सहु ॥ जन० ॥1 (५) आरन्द्रदेश-तमिलार्पित शक्ति महाराष्ट-कृत-गौ रव-पूति । कर्णाटक-कुत्त-गति-लय-रम्य केरल-सुपमा-प्रतिपल-हुद्य ॥ जन० ॥ १ उत्तरप्रदेश मच्यप्रदेशौ 1 २ गुजरात-राजपूताना-प्रदेशौ 1




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