केशव कोश | Keshav Kosh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18.66 MB
कुल पष्ठ :
416
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about करुणापति त्रिपाठी - Karunapati Tripathi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)क्ेगव कोश 9
'... जिसका अंत न हो, श्रनंत । वि० गी ०
न, शप्रनप्नर'
अत्यज्न--मं० पु० एक०।. चाडाल,
सिस्न ' जाति से उत्पन्न | र० प्रिं०
ही
ए-द४-१ । रा० &£-ध्र।
'ध [स० अघन- अबू [--(१) स०् पु ०
एक० । एक प्रकार का. काव्यदोप
वधियों की बंँधी हुई रीति से विरुद्ध
'... कहना झँघ दोप है । व० प्रि० द-ध-ह ।
उ-इनेर | १६-रन्२1 (२ स० पु ०
एक० । अंवकार । कण प्रिं० रनर-र 1
'(ड विशेषण । विजेप्य--तर्म । घोर ।
र० प्रि० शु४-वर-दे (४) नेचहीन;
अधा । र० प्रि० ३०१९-१ । १०-ररे-२॥
छ०्'प्रिं० ७-११-द1 ६०-२५ रा०
श२-३२-२॥
थे गई, ४
२०-४ण्न्द 1 छु० मा०
वी० 'च० ेदे-ऐप्-२।
१४-८१५ १६-४1 विं् गौ ३े६-२९-
२। €४८-१। प्र) श्रज्ञाची, वॉहरी
ग्राँखो के होते हुए 'मीं जिसें 'ज्ञानचक्षु
प्राप्त न ही । क० प्रि० १४-२५-४ |
रण परुध्ड । १रनधश 1 शिप्-शड-
1 १६-3इ-३१ विं० सी ८-८१ 1
रृ७-२७-१ | द
अधिक [ स० अ्रघन-कनू [-नस० पु०
एक० 1 एक देँत्य जो शिव जी के
' ट्ीथो मारा गया।' रा० १८-३३-४ |
अधघकार [| स०. मघ4/कछप-अणु ])
'सं० ' पु ० एकर्ल बिंवेरा 1 वी० चं०
रन 1१४नरेरे सन्त
'. स-चपनर
नर
'घनि-सं० पु४. बहु ।' नेच्रहीन
व्यक्तियों का ' समूह । वि० गी० £-
उन
अं घियार-र्थ सं० ग्रंघंकार |]. सं०
स्त्री एक० । श्रंघकार । 'वी० पव०
२७-१४ ।
झा ध्यारे-सं० पु० एक० |
ग्रँघेरा । र० प्रि० प्-२८-४ 1
च्च--सं० स्त्री एक० | अचा, प्रार्वतती ।
ची० च० २६-६ ।
अचर--[स० शव, रा ( दाने ) नेक]
(१) सं० पुष० एक० । (्र) श्राकाश
(वसंत के पक्ष मे), (श्रा) वस्त्र ( शिव-
समाज के पक्ष में ) । क० प्रि० ७-२८-१ ।
(२) पु ० एक० । (श्र) वस्त्र (कालिका
अंधकार,
के पक्ष मे), (श्रा ) श्राकाण (वर्पा
के पक्ष में) ( कृ०्प्रिं० ७-३र९-४३)
(5) स० पु ० एक० (श्र) वस्त्र (शारदा
:.. +के पक्ष में); (श्रा) श्राकाश (शरद ऋतु
के पक्ष में) । क० प्रि० -७-३७-७ 1 (४)
पु ० एक० । (श्र) श्राकाश (चद्रमा के
पक्ष में) । [श्रा) वस्त्र (सीता के पक्ष
। में),1 कु० प्रि० १४-दे-३। (५) पु ०
एक० । श्राकाश । र० | प्रि० ६-६४ ।
कृ० प्रिं० द्रव । १४-८३ ।
है || द हि
रा० १३-२५-१ । शपर-3८-१
वी० ० ११-१७ । वि० यी० १०-१०-
' र।1 १०-१२ 1 (६) पु ० एक० |
' ' 'बस्त्र 1 'र० प्रि० ७-३१-१ । क० प्रि०
' ' १ड-इध्नर 1 १४-3४५-१ 1 १४५-८४-३ ।
रा० ८-११-३ । १३-२५-१ । वि०
' गी० उ-देनर 1 १०-१२-७ ।
अवरल-स०. पु० वहु०।. कपड़े,
' 1 'वस्त्र । कै० प्रिं० १४-२१-२ ३
अर विंद्दीन--विशेषण ।' विशेष्य--वपु।
वस्नो से रहित: दिगंवर । क० प्रिं०
७-र८- । की
User Reviews
No Reviews | Add Yours...