ज्योतिष शास्त्र | Jyotiah Shastra

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Jyotiah Shastra by दुर्गाप्रसाद खेतान - Durgaprasad Khetan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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चित्र न र--ससुद्रके किनारे जहाज किस तरह गोचर और अगोचर छोते हैं केस सी दी रह रथ | न द--दिवर र को विस्तार पूदक समभाना चिव न ४--एक हम जितनी स'चाईसे देखते हैं ढतनो हो 'भधिक दूर तक स्लोष दिखता डै यों इस चिवर्म ससभाया रया है ।




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