पिता का पत्र पुत्री के नाम | Pita Ka Patra Putri Ke Nam
श्रेणी : पत्र / Letter
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3.87 MB
कुल पष्ठ :
128
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पंडित जवाहरलाल नेहरू -Pt. Javaharlal Neharu
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ज़मीन कैसे बनी ] श्दे
जैसे आदमी, जानवर, पौधा या पेड़ न रह सकते थे। सब चीजें
जल जाती थीं ।
जेसे सरज का एक डुकड़ा टूटकर ज़मीन हो गया इसी तरह
जमीन का एक टुकड़ा टूटकर निकल भागा और चाँद हो गया।
घहुत से लोगों का खयाल है कि चाँद के निकलने से जो गदढा
हो गया वह असरीका और जापान के बीच का प्रशांत-सागर
है। मगर ज़मीन को ठंडे होने में भी बहुत दिन लग गए । धीरे
धीरे ज़मीन की ऊपरी तह तो ज़्यादा ठंडी हो गई लेकिन उसका
भीतरी हिस्सा गर्म बना रहा । अब भी अगर तुस किसी कोयले
की खान में घुसो, तो ज्यों-ज्यों तुम नीचे उततरोगी गर्मी बढ़ती
जायगी । शायद अगर तुम बहुत दूर नीचे चली जाओ तो
तुम्हें ज़मीन अंगारे की तरह मिलेगी । चाँद भी ठंडा होने लगा
चहद ज़मीन से भी ज़्यादा छोटा था इसलिए उसके ठंडे होने में
ज़मीन से भी कम दिन लगे । तुम्हें उसकी ठंडक कितनी प्यारी
मालुम होती है । उसे ठंडा चाँद ही कहते हैं । श्ञायद वह बे
के पहाड़ों और बफ से ढके हुए मैदानों से भरा हुआ है ।
जब ज़मीन ठंडी हो गई तो हवा में जितनी भराफ थी वह
जमकर पानी बन गई और शायद मेंह बनकर बरस पड़ी । उस
ज़माने में बहुत ही ज़्यादा पानी चरसा होगा। यह सब पानी
ज़मीन के बड़े-बड़े गड़हों में भर गया और इस तरह बड़े-बड़े
समुद्र और सागर बन गए ।
ज्यॉ-ज्यों ज़सीन ठंडी होती गई और समुद्र भी ठंडे होते
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