जिंदगी के बदलते रूप | Zindagi Ke Badlte Rup
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
192
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जिन्दगी के बदलते रुप
मेरीन ड्राइव से दौडती हुई मारुती कार थाना की ओर जा रही थी ।
कार तीत्र वेग से चली जा रही थी। परन्तु चेम्बूर के चौराहे पर लाल बत्ती
जल जाने से तेजी से ब्रेक मारकर रोकते हुए किशोर ने सध्या से कहा-
आज की सध्या तो थाना के तालाब मे डूबते सूरज के रमणीय रूप को
देखते हुए नाव खेते-खेते बितानी है। सध्या का वह सुनहरा टाईम बडी
ही सुखद अनुभूति कराने वाला होता है।
हा-हा शादी से पहले एक बार मैं भाई महेश के साथ गई थी और
उस तालाब मे नाव चलाई थी | लेकिन उस समय का आनन्द और था,
और इस समय का मजा कुछ और ही आयेगा। सध्या की बात सुनकर
किशोर ने कहा, “लेकिन ऐसा क्यो ? उस समय भी तो तालाब वही था,
जो इस समय है। सध्या भी वही थी जो आज होगी। सब कुछ तो वही
रहेगा। फिर आज का विशेष आनन्द कैसा ?
जरा सकुूचाते हुए सध्या ने कहा-थोडा आप समझने की कोशिश
करिये। मैं नहीं समझती कि आप मेरा ईशारा नहीं समझते, फिर भी
जान-बूझकर मेरे से सब कुछ स्पष्ट कराना चाहते हँ तो सुनिये उस
समय मेरे साथ भाई था- तब भ्रात-स्नेह प्राप्त था, पर आज मेरे साथ मेरे
प्राणनाथ है, जीवन खवैया है, अत आज का आनन्द तो विचित्र प्रकार का
होगा ही।
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