मानक हिंदी व्याकरण | Manak Hindi Vyakaran

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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-त ... ९१ . मी दिन अब हम कखू और ग॒ यू का सेद भी कर सकते हैं। संक्षेप में क चंख्य अघोष व्यंजन है खू कंब्य महामाण अघोप व्यंजन है गू कं्य अरपनाग चोष व्यंजन है थू कंस्य सहाप्राण घोप व्यंजन है.। और कवग क़ा ड वे वंब्य अनुनासिक अल्पप्राण घोल व्यंजन है. न कुछ विद्वानों ने एक अर से थी इस विपय पर विचार किया ४। कुछ स्वरों का उच्चारण करते समय मुँह कुछ अधिक खुलता हद और कुछ के उच्चारण से कस । आ का उच्चारण करते समय मुह पूरा खुलता है. इसलिए इस के थिवर के पूरे खुलते के कारण विवृत्त स्वर कहते है. | 5 इ ड ऊ तथा ऋ का उच्चारण करते समय मुँद बहुत बन्द होता है इसलिए इन्हें संदतू स्वर कहते हैं. । का अथे है ढका हुआ या बंद ।ए तथा ओ अथ सुदत आर अ ऐ तथा जो अर्थ विवत ध्वनियाँ हूं। उक्त स्वर वर्णों का उच्चोरण करते समय मुंह से बायु किसी अंग सं रगड़ खाये बिना -वाहर निकलती हू । वर्गीय व्यंजनों का उच्चारण करते समय खुद बहुत कम खुलता है और उसमें से निकलनेवाली वायु स्गड़ खाती हुई बार निकलती है। ऐसे वर्ण को स्थूट्ट ६ छूर हर ५ बणे कहते हू । अंतस्थ वर्णों का उच्चारण करते समय सुँह स्पष्ट चरणों की अपेक्षा कुछ अधिक खुलता 3 और उसमें से निकलनेवाली बाय भा उनकी अपेक्षा कम रगड़ खाती है इसलिए अन्तस्थ को ईपस्स्प्ाट कहते हैं. । ईपषत्‌ का जो थोड़े स्टेट बण है बह ईपस्स्पाट कहलाते हैं ऊरष्म वर्णो का उच्चारण करते समय मुँह खुलता तो बहुत है परन्ठ विवृत चर्णो की तुलना में फिर भा कम खुलता है इसलिए उऊत्म वर्ण को कहते हू। बणा को यह सेद प्रयत्न सेद या आभ्यन्तर प्रयत्न सेद कहलाता है. क्योंकि चरणों को उच्चारण करने से पहले हों यह प्रयत्न करना पड़ता है. अब तक ऊपर जो बातें बतलाई गई हैं उन सबका पूरा और स्पष्ट रूप नीचे की सारणी सं जाना जा सकता




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