मानक हिंदी कोश खंड 3 | Manak Hindi Khosh Part 3
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
254.09 MB
कुल पष्ठ :
670
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)थोती
० पडनकिपपनिकर्टएएए लए नएएएसपसिए कसातलपमलगप तर सलाद नल कयककफकथप कनननपपरी फपका काकपयपकसा
थोती--स्त्री०-न्थोथी ।
थोथ--स्त्री [हि थोथा] १. थोथे होने की अवस्था था भाव।
थोधापन । २. खोखलापन। ३. निस्सारता।
[स्त्री०-न्तोद।
थोथरा--वि०-न्थोथा |
थोथा--वि० [दिश० | [स्वी० थोथी | १. जिसके अंदर का सार भाग
नष्ट हो गया हो या निकल गया हो। २. जिसमें कुछ भी तत्त्व या सार
नहो। निःसार। जसे--थोधी बातें, थोथा विवाद। ३. निकम्मा,
बेढंगा और भहा। ४. (पक्षी या पशु) जिसकी दुम कटी हो। बॉड़ा ।
५. (दास्त्र) जिसकी धार कुंठित हो गई हो या घिस गई हो। भोथरा |
थोथी-;स्त्री [हि थूथन | थूथन का अगला छोटा सुकीला भाग ।
स्त्री० [? |] एक प्रकार की घास ।
थोपड़ी--स्त्री |हिं० थोपना] चाँद अर्थात् खोपड़ी के बीचवाले भाग
पर लगाई जानेवाली हलकी चपत या धौल । थोपी ।
थोपना-स० [सं० स्थापन; हि०्थापना ] १. किसी चीज पर कोई गाढ़ी गीछी
चीज इस प्रकार कुछ जोर से फंकना या रखना कि उसकी मोटी तह-सी
जम जाय। मोटा छंप लगाना। जसे--(क) कच्ची दीवार की
मरम्मत करने के लिए उस पर गीली मिट्टी थोपना । (ख) दारीर के
किसी पीड़ित अंग पर कोई गीली पिसी हुई दवा थोपना ।
संयो० क्रि०--देना।
द--देवनागरी वर्णमाला के तवर्ग का तीसरा वर्ण, जो उच्चारण तथा
भाषा-विज्ञान की दृष्टि से घोष, अल्पघ्राण, स्पर्शी, दन्त्य व्यंजन है ।
प्रत्य० [सं०+/दा (दान करना-+-क] [स्त्री दा] दाब्दों के अंत में
लगकर यह प्रत्यय के रूप में 'देनेवाला' का अर्थ देता है। जैसे--करद,
जलद, फलद और कामदा, धनदा आदि।
दंग--वि० [फा०] अप्रत्याशित अथवा अनोखी बात देखकर जो बहुत
अधिक चकित यथा स्तब्ध-सा हो गया हो।
क्रि० प्र०--रह जाना ।--हो जाना ।
पुं० १. डर। भय। २. घबराहट ।
पुं० दे० दंगा! ।
दंगई--वि० [हि दंगा]
उपद्रवी । झगड़ाठू। २. उग्र ।
भारी। दंगल । (क्व० )
स्त्री० १. दंगा-फसाद या लड़ाई-झगड़ा करने की प्रवत्ति। २. दंगा-
१. दंगा या लड़ाई-झगड़ा करनेवाला।
तीब्र। प्रचंड। ३. बहुत बड़ा या
फसाद। उपद्रव ।
दंगल--पुं० [फा०.| १. पहुलवानों की वह प्रतियोगिता, जिसमें प्रतिद्टन्द्ी
को कुदती में जीतने पर प्राय: पुरस्कार के रूप में विदिष्ट धन-राधि
मिलती है। २. उक्त के आधार पर कुदती लड़ने का अखाड़ा जिसमें
उक्त प्रकार की बहुत-सी प्रतियोगिताएँ होती हैं। ३. कोई ऐसी प्रति-
. योगिता. जिसमें बहुत-से प्रतियोगी सम्मिछित हुए या होते हों।
. जैसे--कवियों या गुवैयों का दंगल। ४. मोटा गद्दा। तोशक।
श्०
दंड
२. अभियोग, उत्तरदायित्व, भार आदि बलपूर्वक किसी पर रखना
या लगाना। आरोपित करना। मत्थे मढ़ना। जेसे--किसी में
सिर कोई कलंक (या काम ) थोपना। ३. दे० छोपना |
थोपी--स्त्री० [हि० थोपना ] वह हलकी चपत या घौल जो प्राय: बच्चे
खेलते समय आपस में एक दूसरे के सिर पर लगाते हैं।
थोपड़ी ।
थोबड़ा--पूं० [देश० ] १. जानवरों का निकला हुआ उम्बा मुंह । धूथन ।
२. व्यक्ति के मुंह की वह आकृति जो समन ही मन बहुत रुप्ट होने पर
होती है। फला हुआ मंह। ३. दे० 'तोबड़ा' ।
थोभ--स्त्री० [सं० स्तोम] बाघा। रुकावट ।
पुं० [देय०] केले की पड़ी के बीच का गाभा।
थोरा--पु०-थूहर।
पबि०न्थोड़ा।
स्त्री० >्थोड़।
थोरा--बि०---थोड़ा।
थोरिक--बि० [हिं० थोरा !-एक] थोड़ान्सा। तनिक-सा |
थोरी--स्त्री० [दिश०] एक अनार्य जाति ।
थौंद--स्त्री--तोंद ।
थ्याबस--पुं० [सं० स्थेयस] १.
घैर्य ।
ठहराव। स्थिरता। २. धीरता ।
वि० सामान्य आकार-प्रकार से बहुत अधिक या बड़े आकार-प्रकार-
वाला । जैसे--दंगल मकान ।
दंगली--वि० [फा०] १. दंगल-संबंधी। २. दंगलों में सम्मिलित होगे
वाला।. (पूरब) ३. जिसने दंगलों में विजय प्राप्त की हो।
४. बहुत बड़ा या भारी ।
दंगवाराए--पुं० [हि दंगल--वारा (प्रत्य०) |] एक किसान द्वारा
दूसरे किसान को हल-बैल आदि देकर की जानेवाली सहायता । जिता।
दरसीत ।
दंगा--पुं० [फा० दंगल] १. ऐसा झगड़ा या लड़ाई, जिसमें मार-पीट
भी हो ' दंगम-दंगा। सुए पिता
पहुंचाये गंगा। --कबीर। २. विधिक क्षेत्र में, ऐसा उपद्रव, जिसमें
बहुत-से लोग विद्षेपत: विभिन्न दलों के लोग आपस में मार-पीट,
छूट-पाट आदि करके सार्वजनिक शांति भंग करते हों। ३. गुल
गपाड़ा। हो-हत्ला। शोर ।
दंगाई--पुं० [हिं० दंगा] दंगा या उपद्रव करनेवाछा व्यक्ति ।
स्त्री०न्न्दंगई।
दंगता--पं०-दंगाई
दड--पुं० [सं०+/८दंडू (दंड देना) बज ] १. बाँस, लकड़ी आदि कम
वहू गोलाकार लंबा डंडा, जो प्रायः चलने के समय सहारे के छिए हाथ
में रखा जाता अथवा किसी को मारने-पीटने के काम आता है। लाठी |
सोंटा। २. उक्त आकार की कोई लंबी लकड़ी, जो कुछ चीजों में
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