मानक हिंदी कोश खंड 3 | Manak Hindi Khosh Part 3

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Manak Hindi Khosh Part 3 by बाबू रामचन्द्र वर्मा - Babu Ramchandra Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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थोती ० पडनकिपपनिकर्टएएए लए नएएएसपसिए कसातलपमलगप तर सलाद नल कयककफकथप कनननपपरी फपका काकपयपकसा थोती--स्त्री०-न्थोथी । थोथ--स्त्री [हि थोथा] १. थोथे होने की अवस्था था भाव। थोधापन । २. खोखलापन। ३. निस्सारता। [स्त्री०-न्तोद। थोथरा--वि०-न्थोथा | थोथा--वि० [दिश० | [स्वी० थोथी | १. जिसके अंदर का सार भाग नष्ट हो गया हो या निकल गया हो। २. जिसमें कुछ भी तत्त्व या सार नहो। निःसार। जसे--थोधी बातें, थोथा विवाद। ३. निकम्मा, बेढंगा और भहा। ४. (पक्षी या पशु) जिसकी दुम कटी हो। बॉड़ा । ५. (दास्त्र) जिसकी धार कुंठित हो गई हो या घिस गई हो। भोथरा | थोथी-;स्त्री [हि थूथन | थूथन का अगला छोटा सुकीला भाग । स्त्री० [? |] एक प्रकार की घास । थोपड़ी--स्त्री |हिं० थोपना] चाँद अर्थात्‌ खोपड़ी के बीचवाले भाग पर लगाई जानेवाली हलकी चपत या धौल । थोपी । थोपना-स० [सं० स्थापन; हि०्थापना ] १. किसी चीज पर कोई गाढ़ी गीछी चीज इस प्रकार कुछ जोर से फंकना या रखना कि उसकी मोटी तह-सी जम जाय। मोटा छंप लगाना। जसे--(क) कच्ची दीवार की मरम्मत करने के लिए उस पर गीली मिट्टी थोपना । (ख) दारीर के किसी पीड़ित अंग पर कोई गीली पिसी हुई दवा थोपना । संयो० क्रि०--देना। द--देवनागरी वर्णमाला के तवर्ग का तीसरा वर्ण, जो उच्चारण तथा भाषा-विज्ञान की दृष्टि से घोष, अल्पघ्राण, स्पर्शी, दन्त्य व्यंजन है । प्रत्य० [सं०+/दा (दान करना-+-क] [स्त्री दा] दाब्दों के अंत में लगकर यह प्रत्यय के रूप में 'देनेवाला' का अर्थ देता है। जैसे--करद, जलद, फलद और कामदा, धनदा आदि। दंग--वि० [फा०] अप्रत्याशित अथवा अनोखी बात देखकर जो बहुत अधिक चकित यथा स्तब्ध-सा हो गया हो। क्रि० प्र०--रह जाना ।--हो जाना । पुं० १. डर। भय। २. घबराहट । पुं० दे० दंगा! । दंगई--वि० [हि दंगा] उपद्रवी । झगड़ाठू। २. उग्र । भारी। दंगल । (क्व० ) स्त्री० १. दंगा-फसाद या लड़ाई-झगड़ा करने की प्रवत्ति। २. दंगा- १. दंगा या लड़ाई-झगड़ा करनेवाला। तीब्र। प्रचंड। ३. बहुत बड़ा या फसाद। उपद्रव । दंगल--पुं० [फा०.| १. पहुलवानों की वह प्रतियोगिता, जिसमें प्रतिद्टन्द्ी को कुदती में जीतने पर प्राय: पुरस्कार के रूप में विदिष्ट धन-राधि मिलती है। २. उक्त के आधार पर कुदती लड़ने का अखाड़ा जिसमें उक्त प्रकार की बहुत-सी प्रतियोगिताएँ होती हैं। ३. कोई ऐसी प्रति- . योगिता. जिसमें बहुत-से प्रतियोगी सम्मिछित हुए या होते हों। . जैसे--कवियों या गुवैयों का दंगल। ४. मोटा गद्दा। तोशक। श्० दंड २. अभियोग, उत्तरदायित्व, भार आदि बलपूर्वक किसी पर रखना या लगाना। आरोपित करना। मत्थे मढ़ना। जेसे--किसी में सिर कोई कलंक (या काम ) थोपना। ३. दे० छोपना | थोपी--स्त्री० [हि० थोपना ] वह हलकी चपत या घौल जो प्राय: बच्चे खेलते समय आपस में एक दूसरे के सिर पर लगाते हैं। थोपड़ी । थोबड़ा--पूं० [देश० ] १. जानवरों का निकला हुआ उम्बा मुंह । धूथन । २. व्यक्ति के मुंह की वह आकृति जो समन ही मन बहुत रुप्ट होने पर होती है। फला हुआ मंह। ३. दे० 'तोबड़ा' । थोभ--स्त्री० [सं० स्तोम] बाघा। रुकावट । पुं० [देय०] केले की पड़ी के बीच का गाभा। थोरा--पु०-थूहर। पबि०न्थोड़ा। स्त्री० >्थोड़। थोरा--बि०---थोड़ा। थोरिक--बि० [हिं० थोरा !-एक] थोड़ान्सा। तनिक-सा | थोरी--स्त्री० [दिश०] एक अनार्य जाति । थौंद--स्त्री--तोंद । थ्याबस--पुं० [सं० स्थेयस] १. घैर्य । ठहराव। स्थिरता। २. धीरता । वि० सामान्य आकार-प्रकार से बहुत अधिक या बड़े आकार-प्रकार- वाला । जैसे--दंगल मकान । दंगली--वि० [फा०] १. दंगल-संबंधी। २. दंगलों में सम्मिलित होगे वाला।. (पूरब) ३. जिसने दंगलों में विजय प्राप्त की हो। ४. बहुत बड़ा या भारी । दंगवाराए--पुं० [हि दंगल--वारा (प्रत्य०) |] एक किसान द्वारा दूसरे किसान को हल-बैल आदि देकर की जानेवाली सहायता । जिता। दरसीत । दंगा--पुं० [फा० दंगल] १. ऐसा झगड़ा या लड़ाई, जिसमें मार-पीट भी हो ' दंगम-दंगा। सुए पिता पहुंचाये गंगा। --कबीर। २. विधिक क्षेत्र में, ऐसा उपद्रव, जिसमें बहुत-से लोग विद्षेपत: विभिन्न दलों के लोग आपस में मार-पीट, छूट-पाट आदि करके सार्वजनिक शांति भंग करते हों। ३. गुल गपाड़ा। हो-हत्ला। शोर । दंगाई--पुं० [हिं० दंगा] दंगा या उपद्रव करनेवाछा व्यक्ति । स्त्री०न्न्दंगई। दंगता--पं०-दंगाई दड--पुं० [सं०+/८दंडू (दंड देना) बज ] १. बाँस, लकड़ी आदि कम वहू गोलाकार लंबा डंडा, जो प्रायः चलने के समय सहारे के छिए हाथ में रखा जाता अथवा किसी को मारने-पीटने के काम आता है। लाठी | सोंटा। २. उक्त आकार की कोई लंबी लकड़ी, जो कुछ चीजों में




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