अभ्युदय खंड 1 | Abhyuday Part 1
श्रेणी : उपन्यास / Upnyas-Novel, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
55.7 MB
कुल पष्ठ :
744
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दीक्षी ७ राक्षसों का इतना साहस ही न होता। ऋषिवर हमारे आश्रमनिवासियों में गभी भी थोड़ा-सा आत्मबल और तेज है अतः आश्रम के भीतर हमें उतना अनुभव नही होता अन्यथा आश्रम के बाहर तो स्थिति यह है कि सैकड़ों लोगों की उपस्थिति मे राक्षस तथा उनके अनुयायी व्यक्ति का धन छीन लेते हैं उसे पीट देते हैं उसकी हत्या कर देते हैं। जनाकीर्ण हाट-बाजार में महिलाओं को परेशान किया जाता है उन्हे अपमानित किया जाता है उनका हरण किया जाता है--और जनसमुदाय खड़ा देखता रहता है। जनसमुदाय अब मानो नैतिक- सामाजिक भावनाओं से शून्य हृतवीर्य तथा कायर जड़ वस्तु है। जिसके सिर पर पड़ती है वह स्वय भुगत लेता है--शेष प्रत्येक व्यक्ति इन घटनाओं से उदासीन स्वयं को बचाता-सा निकल जाता है । इससे अधिक शोचनीय स्थिति और बया होगी भाय॑ कुलपति जाने क्यों विश्वामित्र को मुनि का प्रत्येक वाक्य अपने लिए ही उच्चरित होता लगता था । क्या आजानुबाहु जान-बूझकर ऐसे वाक्यों का प्रयोग कर रहे है या विश्वामित्र का अपना ही मन उन्हें घिक्कार रहा है पर धिक्कार से क्या होगा अब कमें का समय है । विश्वामित्र अपने चिंतन को नियत्रित करते हुए बोले न्याय-पक्ष दुबेल और भीरु तथा अन्याय-पक्ष दुस्साहसी एवं शक्तिशाली हो गया है । यह स्थिति अत्यन्त अहितकर है । आप शासन-प्रतिनिधि सेनानायक बहुलाश्व के पास भी गए थे ? आये गया था । मुनि का स्वर और अधिक शुष्क और उदासीन हो गया । उससे क्या बातचीत हुई ? उसने अपराधियों को बंदी करने के लिए सेनिक भेजे ? उससे बातचीत तो बहुत हुई । मुनि ने उत्तर दिया। उनके स्वर मे फिर बह्दी भाव था । विश्वामित्र साफ-साफ सुन पा रहे थे । आजानुबाहु ने कुलपति की आज्ञा का पालन अवश्य किया था किन्तु उन्हें इन कार्यों की सार्थकता पर विश्वास नही था । किन्तु उसने अपने सैनिकों को कोई आदेश नहीं दिया । कदाचित् वह कोई आदेश देगा भी नहीं । क्यों ? विश्वामित्र की भूकुटी वक्र हो उठी । सेनानायक बहुलाश्व को आज बहुत से उपहार प्राप्त हुए हैं आय कुलपति उसे एक बहुमूल्य रथ मिला है । उसकी पत्नी को शुद्ध स्वर्ण के आभूषण मिले हैं । मदिरा का एक दीर्घाकार भांड मिला है और कहते हैं कि एक अत्यम्त सुन्दरी दासी भी दिए जाने का वचन है। मे उपहार किसने दिये हैं मुनिवर ?
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