आदमी बैसाखी पर | Aadmi Baisakhi Par
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
116
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about यादवेन्द्र शर्मा ' चन्द्र ' - Yadvendra Sharma 'Chandra'
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आदमी बसाखी पर
अभी तक झताम न वरला की झार नहों देवा या। वह उपेशा वरटा
'का बुरी वग रही थी । यह ययवहार झ्रटिप्टता का भी सूचक > एमा वरटा
ने मन ही मन सांचा और वह उुछ अवरा सी बोलती फिर आपने चलन का
“वचन वया दिया था २
पर वचन वा तांडा भी जा सकता है!
आशभिजात वम् की मजी सजाई महिला की प्रदशन भावना लिए
वरला चाहती थी कि अनाम उसे दके पल भर वे तिरु दने ताति वह गव
कर अपन मन को तुप्द कर पर ग्रताम द्वारा निर तर उपे वा पाकर उमका
अहार तडप उ] वह तनिक राय मयोती तुम्हारे वचनाकावया
मात ? तुम दूसरा की दच्छा का इच्छा नदों सनक इतना दन्नग्रखा
नही |
ग्रनाम तुरुत पलग पर वड गया 1 उसन बरला बी श्रार् दपा । नर
खार हुट | हावा न भ्रनिमप दप्टि से कुछ शण के लिए एग दूसरे को दा!
रता अपनी धोती का पल्तू अपनी झग्रुती के चारा आर লিলশল জী
और अनाम के चहरे पर समभौता सूचक हसी नाच उठी वह् शात स्वर
में बाला मुझ मर एक मित्र के घर जाना ” उसकी पत्नी भ्रस्वस्थ है ।
चरता ! वहा नही जाऊया तो उहें क्तिना बुरा लगेगा ।
बरदा क आखें भर आयी वह खा का पाउती हुई कामत स्वर भ
बाली अनाम बाद झ्ाप अपने मित्र के पास अवश्य जाइए तेकित हदु
दीदी बै यहा नही । यट इदु दरी मुझे अच्छी नहा लगती ।
और वह हवा वी तरह वाहर चली गई 1
उसके जाने क॑ बाद अनाम नारी की स्वामाविक्र ईप्या को दखकर
'गमीर हा गया। फिर वह वरदा के अधिकारपूण वाक्य को लेकर कई वार
सांचता विचारता रहा और वाट म उसने निणय निकाला कि वरटा उस
भेम करती > वहु उसपर अपना कुछ अधिकार समझती है वमी वह उसे
१३
User Reviews
No Reviews | Add Yours...