हुकुमचंद अभिनन्दन ग्रन्थ | Hukum Chand Abhinandan Granth

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Hukum Chand Abhinandan Granth by Dr. Sushil Kumar - डॉ. सुशील कुमार

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(७) जुटाने और জীবন্ত करने में “जन गजट” के प्रकाशक पणिडत बाबूलालजी शास्त्री का सहयोग अस्यन्त सराह- नीय रहा । अधिकतर सामग्री का संकलन तो इन्दौर से ही हुआ है। उसको जुटाने में मैयासाहब श्री राजकुमार- सिंदजी, सेठ हीरालालजी साहब, स्वयं अयन्ती समारोह के स्वागताध्यक्ष सेठ भंवरलालजी सेटी, संस्थाओं के मन्त्र? जाला हजारीलालजी, सेक्र टरी बाबू बसन्त्ये ्ालजो कोरिया, श्री हुकुमचन्दजी पाटनी, श्री रतनलालजी सोनी और वयोगृद्ध वैद्यर पण्डित ख्याज्लीरामजी द्विवेदी के नार्मो का उल्लेख कृतश्ता के साथ किया जाना चाहिये । पूज्य गांधीजी और महामना मालबीयजी के साथ के पुराने चित्र द्विवेदीजी से ही प्रप्त हुये है' | आप भी इन्दौर के सावेजनिक धामिक जीवन के भाण है । इन्दौर के श्री हरेन्द्रनाथ शर्मा और ग्वालियर के श्री झोमप्र काश शास्त्री को सद्दायता का उल्लेख करना आवश्यक है| जिन चित्रों से इस अ'थ में जीवन ढल सका है, उनको नया रूप देकर अ'थ के योग्य बनाने का श्रेय है इन्दौ के स्टडी स्टुडियो के मालिक श्री पाणड्या की मेहनत को । उनके दम हृदय से आभारी है' । इन चित्रों में सेठ साहब के व्यापक जीवन की छाया देने का और संस्मरणों तथा श्रद्धांजलियों में आपके चरित्र को अंकित करने का जो प्रयरन किया गया है, वह इस ग्र'थ की अपनी ही विशेषता है । अन्य ऐसे ग्र'थों में ऐसा नहीं किया गया है। दिल्‍ली में ब्लाक बनाने में पंजाबी प्रेस, टाइम्स आफ हणिडया प्रेस और सबसे बदकर दिगम्बर श्रा काटेज का सराहनीय सहयोग रहा । मुद्रण में हिन्दी प्रिंटिंग प्रेस, जयन्ती प्रेस और न्यू हृण्डिया प्रेस का सहयोग प्राप्त हुआ । इन सबका भी श्राभार मानना आवश्यक है। जिल्द बंधाईं का श्रेय श्री सुरेश एण्ड कम्पनी को है, जिन्होंने सप्ताह से भी कम समय में जिल्द बंधाई करके चमत्कारण्कर दिखाया है। भ्रूफ पढ़ने में दी गई सहायता के लिये हिन्दी प्रिंटिंग प्रेस के श्री राममूर्ति श्रग्नवाल और न्यू इण्डिया अरेस के परिडित शान्तिस्वरूप वेदालंकार के भी हम आभारी है | क्षमायाचना उन महानुभावों से है, जिनकी सामग्री का उपयोग हम कर नहीं कके । कुछ लेख तो श्रस्य- थिक लम्बे, अस्पष्ट, पेन्सिल से लिस्से होने के कारण काम में नहीं आरा सके | समय की कमी के कारण पृष्ठ- संख्या बढ़ाकर भी बची हुईं स।मग्रो का उपयोग कर सकता संभव नहीं हुआ | कुछ सामग्री तो २-६ मई नक प्राप्त हुई है | ऐसे सब महानुभावों से एक बार फिर विनीत भाव से क्षमा-याचना है। महासभा कार्यालय, --सम्पादक समिति । नई सड़क, दिल्‍ली मंगलवार ८ मई 38৭




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