हिंदी निबंध लेखन | Hindi Nibandh Lekhan

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Hindi Nibandh Lekhan by प्रो. विराज - Pr. Viraj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नदरप-सेसने रु दोहा है । परन्तु रब सोग प्रतिभाशाली नहीं होते । विन्तु भम्यात द्वारा सब रोग शुदाल निवर्ध-सेसक घदश्य बन सकते हू, बर्योंकि निवर्पन्सेसन के सिए पत्ती का विहास भी भम्यास द्वारा, दिया जा सबहा है । कम की रपरेहा निषत्ध को लिखना शुरू करने से पहले हमें उसकी स्परेशा तार कर सेनी उसके दा उस रूपरेसा थे भाधार पर निदस्प लित पाला बहुत सासाद भाज द1 मुग हर कार्य को पोजनापूृर्वक करने का है । यदि हुमें होत। है हो पहले उसबा नषया तेयार करते हैं धोर फिर उस मर्द न तह कर देते हैं। मगान के निर्माण में जो महत्व नकरो क३ . में रूपरेखा का है । एकाएक यूदी निवन्ध लिखना शुरू । तो निवन्घ ठीक नहीं बन पाएगा था उतभे बारनबाएं काटनडोट +३ ४ । कौनेन्सा बिन्दु पहले लिखा जाए भौर कौन-सा बाद छुरू करने से पहले तय हो जाना घाहिए। रूपरेप्त! द्वारा यह हो सकता है। रूपरेता में बाट-छाट प्र रहोबदल दरना । « होता हैं । *, . भागीं में बांटा जा सकता है-- (१) भूमिका, (२) विपय- ५ सपसंदार । विपय-प्रतिपादन का भाग ही सारे निवन्ध का «०८ भौर उपसदार तुलना में बहुत छोटे होते हैं । परन्तु “होता है, इसलिए मूमिडत बहुत ाकर्पक पर सुग- « रे पाठक निदन्थ को पढ़ना शुरू कर दे भौर पढ़ता हो « उपसंद्वार निवन्घ का भन्त होता है, इसलिए वहु भी _ ६ मरमावशाली होना चाहिए कि पाटक के मन पर एक शहरी चर कहायत है, जिसका धर्य है कि काम का प्रारभ्म प्रच्छा हुभा भाघा समाप्त हो गया । यह बात निवन्ध पर सबसे भ्रघिक का भारमम ठीक हो जाए, तो फिर उसे समाप्त कर




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