सिद्धि के सोपान | Siddhi Ke Sopan
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
186
श्रेणी :
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आचार्य श्री नेमीचन्द्र - Acharya Shri Nemichandra
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राजचन्द्र - Rajchandra
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)'पिद्धि के सोपान॑ के यूल पद्म
श्रपुवे प्रवसर
अपुवं अवसर एवो क्यारे आवहे ?
क्यारे थइशुं बाह्यान्तर नि्रन्थ जो,
सवं सम्बन्धन्ं बंधन तीक्ष्ण छेदीने
লিলহহ क्व॒ महापुरुषने पंय जो १॥
स्वेभावयी ओौदासीन्यं वृत्ति करी,
मात्र देह ते संयम-हेतु होय जो;
अन्य कारणे अन्य कष्चु कल्पे नहि ›
देहे पण किचित् मूर्च्छा नव जोय जो ।२॥।
दर्शनमोह व्यतीत थई उपज्यो बोध जे ,
देहसिन्न केवल चेतन्यनुं ज्ञान जो ,
एथी प्रक्षीण चारिन्रमोह विलोकीए ,
चत्त एवं शुद्धस्वरूपनुं ध्याव जो ॥३॥।
आत्मस्थिरता प्रण॒ संक्षिप्त योगनी ›
मुर्यपणे' तो वर्ते देह पर्यन्त जो,
घोर परिषह के उपसगे भये फरी,
आदी शके नहि ते स्थिरतानो जन्त जो १४५
संयमना हेतुथी আম-সললনা?
स्वरूपलक्षे জিল-লাজা জাদীন जो;
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