ग़दर के पत्र और कहानियाँ | Gadar Ke Patra Aur Kahaniyan
श्रेणी : कहानियाँ / Stories, पत्र / Letter
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.69 MB
कुल पष्ठ :
162
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about आचार्य चतुरसेन शास्त्री - Acharya Chatursen Shastri
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पत्र नं० ३
( यह पत्र जनरल सर देनरी चर्नाडं कमांडर-इन-चीफ़ ने
जाजें कार्निकदारेंस के नाम १७ जून, ५७ को भेजा था। )
प्रिय वारेंस !
मैंने अमी श्रापकी चिट्टी पढ़ी । इससे सुसे कुछ
सतखल्ली इुई, इसलिये कि 'झापपने इस तजदीज़ को नापसंद
किया कि मैं पनी ्ल्प सेना लकर देदली में दाखिल
होने का खतरनाक तजुरवा करूँ । इस तरद से कि सेरा कप;
इुर्पताल ौर कमसरियट तथा खज़ाना । सारांश यह कि मेरी
सेना का सारा सामान अरक्षित दशा में पढ़ा रद जाथ ।
में स्वीकार करता हूँ कि जो पोलिटिकल सलाहकार सेरे
साथ छाम कर रहे हैं, उनकी सलाद से प्रभाविव द्ोकर मैं
ब्रचानक 'और ज़बद्स्त 'हाक्रमण करने के प्रस्ताव पर सदसत
डो गया था, जिसमें ऊपर ब्णित सारी वादों की जोखिम साथ
थी । केवल सौभाग्य से ही यद्द तजवीज अमल में श्याने से
झुक गई । संभव है, इंश्वर कूपा करे, इसलियि जो कुछ मैंने सुना
है, श्औौर जिन साहबों से सम्सति करना सेरा कतब्य था, उनको
रायों पर विचार करने के वाद सुझे यदद विश्वास हो गया कि
विजय चतनी दी भयानक सिद्ध होती, जितनी कि द्वार ।
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