धरती और आसमान | Dharti Aur Aasman

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Dharti Aur Aasman by आचार्य चतुरसेन - Achary Chatursen

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पानवासी 1 कसकत्ते के एक उजाड-से भाग में एक बहुत विास मकान में. अली घाइ नडरवन्द थे । ठाऊ लगभग वही था. सकडों दासियां बादिया भी वेद्याएं भरी हुई थी पर वह लखनऊ का 'रग कहां ! साना खाने का वक्‍त हुभा भोर जब दस्तरखान पर साना चुना गया ते बादगाह ने घख-चस्कर फेक दिया । भगरज़ अफसर ने धवराकर पछा--सा में बया नुस्‍्स है ? जवाब दिया गया--नमक खराब है । नवाब कसा नमक खाते हैं * “एक मन का इसा रखबर उसपर पानी की घार छोडी जाती है। ज 'ुलते प्रुलते छोटा-सा टुकड़ा रह जाता है तब बादशाह के खाने में वहू नम इस्तमा्त होता है । अगरण़ भ्षिकारी मुस्कराता हुभा चला गया । कयो * भोह सब सोग के समझने के योग्य यह मद नही । ससी रस रग की दीवारों क भीतर भव सरकारी दफ्ठर खुल गए हैं, भी बह भमर कसरबाग मानों रडुए थी ठरह खा उस रसोलो रात की यात सिर धुन रहा है ।




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