बंगला साहित्य का संक्षिप्त इतिहास | Bangla Sahitya Ka Sankshipt Itihas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
326
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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अध्याय २
(क) |
भ्रारभे काल; सिद्ध-साहित्य
बंगला साहित्य के आरंभ काल की दो रचनाएँ प्राप्त हुईं है। इनमें से
एक बगला के बौद्ध युग की कृति मानी जा सकती है। यह् है 'चर्याचर्यविनिश्चय
अथवा बौद्ध गान ओ दोहा' | सन् १९०७ में पं ० हरप्रसाद शास्त्री को नेपाल में
इसका पता चला। बौद्ध गान ओ दोहा' नाम से उन्होंने इसका संपादन किया ।
उनके मतानुसार ये गान ओौर पदं थवीं से १३वी' शती के बीच लिखे गये।'
इन्हें वे बंगाली भाषा के गान और पद मानते हैं,, और इन दोहो के कर्तां
मैं प्रथम गंण्य हैं 'लुई! । चर्याचयविनिश्चय' के अनुसार लुई! सब से पहले
सिद्धांचार्य हैं।' तेंजूरँ का एक सूचीपत्र प्रकाशित हुआ है जिसमें लुई को
१. खीष्ठीय ८,९,१०,११,१२ शते ए३ सकल बंइगलि लेखों हृदयाछिल बला
जाय (बौ० दो०पृ० ६)
२. (क) आमार विश्वास, जाँरा एड भाषा लिखियाछेन, ताँरा बॉगालाओ
'.' तन्निकटती देशर छोक अनेके जे बांगाली छिलेन, ताहार प्रमाण भो
पाया गियाछ । जदिमो अनकेर भाषाय एकं एकट व्याक्रणर प्रभंद
माछ, तथापि समस्तह बांगाखा बलिया बोध हय (बही, पृ० ६) ।
(ख) हमारा विवासं हैं कि जिन्होंने यह भाषा लिखी है वे बंगाल और
उसके पास के देशों के लोगं थे । इन लोगों मे अनेकों बंगाली थे, इस बात के
प्रमाण मिले है ! यद्यपि अनेको की भाषा मे कुछ व्याकरणं संब॑धौ भिन्नता
मिलती है, फिर भौ सभी भाषा बंगाली कही जायेगी । `
, ३. चर्थावधेविनिश्चेर मते लृ सर्वप्रथम सिद्धाचथं (वही, पू०१५))
` ४. तिब्बत देश के रोगों ने जब बौद्ध घमं मनाया तब भारत के अनेक बौद्ध
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