हिंदी - कविता | Hindi - kavita

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भूमिका ११ भावना की प्रघानता थी । श्रतिरज्ित-विंदइ-वणन का उल्लेख ऊपर हो चुका है । जीवन के प्रति इसका दृष्टिकोण नेराश्यपूर्ण था परन्दु. इसकी कथा-कहानियो मे घटना वैचित्य कम नहीं होता था । सूफी कवियों के हिन्दी-प्रवन्ध-काव्यों पर घटना-प्रधान श्राश्रय मूलक फारसी कथाओं का प्रभाव लक्षित है | बड़ला काव्य के प्रभाव रविवाबू के माध्यम से १६१४ ई० के- लगभग पडना आ्ारम्म हुआ । उनके गीतांजलि ग्रन्थ के अनुवाद की शी पर गद्य में एक नई प्रकार की शेली का जन्म हुआ जिसे उपयुक्त नाम न मिलने के कारण हम गद्यमीत कहते है। पद्य में छाया- वाद शल्ली की कविताओं का जन्म हुआ जिनमें लाचशिकता का झधिक्य था श्रोर कवि किसी रहस्यमय सत्ता के प्रति उन्मुख होता जान पडता था | यह प्रभाव अब तक बना है । अ्रगरेज़ी काव्य-साहित्य का प्रभाव भी कम नहीं है। पं० श्रीधर पाठक को रचनाश्ो पर गोल्डस्मिथ का प्रमाव है । छायावादी किं- तात्रो पर शेली कीट्स वडस्वथ टेनीसन श्रादि रोमाटिक कवियों की स्वनाओ का प्रभाव स्पष्ट हैं । वीसवी शताब्दी के प्रथम दशाब्द के बाद हिन्दी समाज की वैसी ही परिस्थिति उत्पन्न हो गई जेसी उन्नासवा शताब्दी के झंगरेज़ी-समाज की थी अत. कविं आग्ल साहित्य के १६वा शताब्दी के काव्य की ओर मुड़े । उन्होंने उसकी लाक्षशिकता उसकी काव्य-शली श्रौर कही-कही शब्दों और मुहावरों के भी श्रनुवाद अपना लिए जसे स्वखिम हास और रेशम के से वाल जिसके लिए 001060 1.80४067 आर 5८७0 0917 पहले से ही उप स्थत थ। पत को कविता से इनका प्रयोग सबसे अधिक हुआ है। श्राग्ल जाहित्य के प्रभाव से अड्धरेजी ढज्ध की कविताएं लिखी जाने लगी ओर 1-71 के ढड्ड पर गीतिकार्व्य या गीति 03० के ढड पर सम्बोधन के




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