शांति प्रकाश | Shanti Prakash
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
440
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( रे )
परहेच्छूविमतिः 'स्वामित् ! निगुणों दम्भ संयुतः ।
त्वां प्रणिपत्य याचेऽहं, किशिच्छान्तं रसं भियम् ॥७॥
काये जातुः जाय कर, तुम समः नही दातार |
करुणा निधि करूणा करी,दीजे शान्ति बिचार ॥८॥
गत्वाऽहमत्र कं योय, ` त्वत्समो निं दायकः |
दयानिपें दयांकृतखा, शान्ति मे यच्छं संस्थिराम् ॥।८॥
मे गुलाम हौ रोवरो मेरो विगरत काज |
वाहि सुधारे वनि रहे, मेरी तेसी लाज ॥&॥
दासोऽस्मिते प्रभोऽदं वै, कृत्यं नश्यति मेऽधुना ।
साफल्ये तस्य मे ते वै, लज्जा स्थास्यस्यसंशयम् ˆ ॥ ६ ॥
शांति चवि निरखत ररह, जाचु' नहिं कछु और ॥
्ररज्ञी हुकम चदय यो,परथो रह तुम पौर ॥१०॥
नान्यत् किमप्यहं याचे, याचेश्ं केवल विभो !
लोक ऽस्मिन् वीक्षणं चत्या, श्शान्तेरस्तु सदा मम
अबेदने ममाऽऽदेश, स्तया देयः प्रमो { हव्यम् |
भृत्वा चेवं कृतार्थोऽह, द्वारे तिष्ठामि ते सदा ॥ १०॥
भिहि गुणतं खुश दोह तुम,सो गुर नहिं लवलेश 1
तुम चर्णन आश्रित रहूँ सो बुध देहु जिनेश ॥१९॥
प्रसादस्तेः गुणेन स्यात् , येन स्वल्पोषपि मे स न ।
मतिजिनेश ! सा देया यया स्यां चरणाश्रितः ॥ ११॥
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