दुनिया तुम्हारी है | Duniya Tumhari Hai
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
274
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about डॉ. रामचरण महेन्द्र - Dr. Ramcharan Mahendra
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आपकी आकपपण शक्ति के गुप्त केन्द्र ७
৮ পাপ
संसार के अन्य व्यक्तियों ने किए हैं, अद्ट विश्वास के वल्ष पर
आप भी कर सकते हैं।
विश्वास कीजिए, परमात्मा के इस लीलामय जगत में कोई
काये अन्वाधुन्ध और अनियंत्रित नहीं होता । बिना ठोस कारये
तथा योजना के बिना वलिदान और परिश्रम के मद्दान् होना
सम्भव नहीं है। परिश्रम का ही फल मित्रता हैं। जो
मनुष्य जितना परिश्रम, उद्योग, कायं और वलिदान
करता है, जिसने अपनी मानसिक शारीरिक और आत्मिक
साम्यं को जितना बढ़ाया है, उसमें उतना द्वी आऋृपक वल
विद्यमान है।
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विश्वास कीजिए कि शक्ति का केन्द्र आप द्वी हैं, सफलता,
प्रभाव, आनन्द और सुख-दुःख की जईं स्वय॑ आपके गुप्त मन
मे दी विद्यमान हं; सफलता या असफलता का निणैव करने
वाली आपके अन्तःकरण की दी स्थिति है । आपके मानसिक
संग्रहालय में से पतश्चाताप, निराशा, असफलता, विपत्ति,
निरवेल्ञवा की कुत्सित भावनाओं को तिलांजलि दे दीजिए | उनके
स्थान पर दृढ़ता, आशा, सामथ्य, प्रसन्नता, अनुकूलता, सौमाग्य,
समृद्धि इत्यादि सद्भावनाओं के मानसिक चित्रपटी पर
सना । इसी पूंजी से आप व्यावहारिक सांसारिक जीवन में
प्रविष्टठ हृूजिए। स्मरण रखिए--
অলী बृद्धः अजाययाः इन्द्र ज्येष्ठाय (ऋग्वेद १,५,६)
हे इन्द्र, वड़ा वनने को भावना से तु मटपट वड़ा बन जाता है)
मनुष्य जीवन श्रेट और वड़ा वनने के लिए है । जीवन
दिनि काटने के लिए नदीं, छं मदान् काच करने के लिए है।
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