पथ - निर्देश | Path Nirdesh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
370
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
जन्म:-
20 सितंबर 1911, आँवल खेड़ा , आगरा, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत (वर्तमान उत्तर प्रदेश, भारत)
मृत्यु :-
2 जून 1990 (आयु 78 वर्ष) , हरिद्वार, भारत
अन्य नाम :-
श्री राम मत, गुरुदेव, वेदमूर्ति, आचार्य, युग ऋषि, तपोनिष्ठ, गुरुजी
आचार्य श्रीराम शर्मा जी को अखिल विश्व गायत्री परिवार (AWGP) के संस्थापक और संरक्षक के रूप में जाना जाता है |
गृहनगर :- आंवल खेड़ा , आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत
पत्नी :- भगवती देवी शर्मा
श्रीराम शर्मा (20 सितंबर 1911– 2 जून 1990) एक समाज सुधारक, एक दार्शनिक, और "ऑल वर्ल्ड गायत्री परिवार" के संस्थापक थे, जिसका मुख्यालय शांतिकुंज, हरिद्वार, भारत में है। उन्हें गायत्री प
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पथ-निर्देश 8
ओर कंपित कर रही थी | लेकिन फिर भी मानव मूढ था, अवि-
चत्त था, अन्धा था, बह उस्र युग की पुकार को अपने परों से
रॉदिकर आगे बढ़ रहा था। सानव चिल्ला रहा था--अभयवाबू,
नजीर ओर रानी का स्वर सी उस जनता की पुकार में सम्मिलित
था | लेकिन, हाथ | बह ऋर, दमस्भी ओर अपनी शत द्वार
बम्छिन बना हुआ मानव --क्षय को--उन सबको--रंद ता हुआ,
मानों कुछ देख नहीं रहा था. ..समभमा नहीं रहा था, वह सानच॑ !
बसी समय, अमयबाबू ने गहरो सास छोड़ कर कहा--
सकता नहीं कि क्या होगा | कैसे होगा!
नजीर ने भी अपनी साँस छोड़ी ओर उसी स्वर में कहा---
सचमुच समझ सें नहीं आता,-ऐसे तो सास भी नहीं चलता !?
रातीने तभो रोपपूर्ण होकर कहा गरीब मरेगै. . .मिट्टी में मिलेंगे ।
गोलियों और लाठियों के शिकार होंगे,--ये इसाम,-खुदा के
ই !
सुनते ही लाल बनकर, नजीर बोला--न भाभी ! ऐसा होगा
आगे भी होगा, तो देखना तुम, इन ऊँची बुणियों का सिर जमीन
में कक जायगा., पस बाला भिद्ठटी में মিল ज्ञायगा 1,
छूट तीर की तरह, रानी ने और अधिक अपने स्वर पर जोर
देकर कहा--में ऐसा सहीं देख पाती, सजीर भाई! पैसे बालि
तुम्हारी जिस दुर्बलता से लाभ उठाने हैं, तुमने उसे समझा है
क्या ? उसने कहा--आज ही क्यां--परनवान सदा ही मसुप्य की
ग्रलता श्रीर विवशता से लाभ पाता रहा है। पेसे का दान
प्रदान इसी एक सीति पर हुआ है | देखत हो, मद्दी भर घनवानों से
रे-के-साश विश्व की बाँध रम्या है। बनकी जैसी नीति है
उसके अनुसार ही, उनका जाल फैला हुआ है । बताओ तौ
आज तम्हाश कारखाने में ऐसा क्यों हुआ |
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