पुरानी दुनिया | Purani Duniya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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बेब्िल्लोन का साम्राज्य ধ बीच का प्रदेश | इस मेखला के शेष भागों में भी मैदान हैं ; परया तो वे उतने अधिक उपजाऊ नहीं हैं. ओर या उनमें बीच-बोच में पहाड़ियाँ और तराइयाँ आदि पढ़ती हैं, जिनके कारण हम उन्हें मैदान कद्द ही नहीं सकते । पर ऊपर जिन दो मैदानों का हमने ज़िक्र किया है, वे बहुत बड़े और उपजांऊ हैं। उनमें सिंचाई आदि के लिये नदियाँ भी यथेष्ट हैं, भर वे इस योग्य भी हैं कि उनमें बहुत-से लोग एक साथ मिलकर सुश्ध से रद सके, ओर स प्रकार की उन्नति कर सकें । पर एक बातत भ्रौरदहं। इस मेखलामे रढनेवामां पर भीतरी और बाहरी दोनो ही प्रकार की बहुत-सी विपत्तियाँ सा आ सकती हैं। सबसे पहली बात तो यह है कि वे आपस में दी बहुत कुछ लड़- झगड़ सकते हैं ; श्रोर विशेषतः दोनो बड़े-बड़े मैदानों के निवश्ली एक दूसरे के साथ बहुत कुछ ईप्या-हेष भी कर सकते हैं । व्यापारियों के दत्वों के आने-जाने दा सांग भो इसों मेखला पर से होकर है, क्योंकि इसके दोनो ओर या तो पद्दाढ़ हैं या रेशिस्तान; शौर उनम से द्वोकर ग्ात्रिय्रों आदि का आना-जाना बहुत ही कठिन है। इसलिये इन दोनों ही स्थानों के निवासी, छाष्टाँ तक हो सकेगा, इस मेखला के अधिकांश भाग को अपने अधिकार में रखने और उससे ल्लाभ उठाने का प्रयत्न करेंगे । इस प्रकार अधिकार प्राप्ति के लिये वे आपस में लड़-मिड़ भो सकते हैं । इसके सिवा यहाँ के निवासियों पर बाहर से भी विषत्तियों के आने की संभावना होठो है । इस मेखला के किनारों पर समुद्र, पंत और रेगिस्तान हैं, ओर इनमें से हरएक के कारण इनके निवासियों पर आपत्तियाँ आ सकती हैं | इस प्रकार की विपत्तियों पर हम यहाँ संक्षेव में अपने कुछ विचार प्रकट कर देना चाहते हैं । ( क ) समुद्र की ओर से तो कोई बहुत बड़ी विपत्ति आने




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