राधास्वामी मत उपदेश | Radhaswami Mat Updesh

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Book Image : राधास्वामी मत उपदेश  -  Radhaswami Mat Updesh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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राधाखामी मत उपदेश । ' का. भाग तीसरा अपने वक्त के सतगुरू की ज़रूरत श्र उनके सतसंग का फायदा ९१९-संत भथवा राधघास्वामी मत में वक्त के सतगरु की निहायत जरूरत है । क्योंकि बगैर उनके मिलने के मेद कुल मालिक और रास्ते का और जुगत चलने की और हाल उन संजमों का, जिनकी निगह- दाग्त प्रेमी अभ्यासी को जरूर है मालूम नहीं हो | सक्ता । यह भेद और हाल वही जानता है, कि जो अपने घट में रास्ता ते करके, धुर मुक़ाम तक या किसी रास्ते के अस्थान तक पहुंचा है या थोड़ा बहुत बह शखस जानेगा जिसने पूरे गरू से मिल कर, कोई दिन उनका सतसंग किया है, और उनसे | उपदेश लेकर अभ्यास कर रहा है । सिवाय इन तीन के जिनको (१) संत सतगरु और (२) साधगुरू, घौर (३) पूरे गुरु का सच्चा सतसंगी के श्र कोई यह भेद नहीं जान सक्ता । इस वास्ते जिस किसी के दिल में सच्चे मालिक का खोज, और उसके . मिलने का शौक पैदा हुआ है, जब तक इम तीनों में से कोई नहीं मिलेगा, तब तक उसको शान्ती नहीं र चर वा ही न हे ड




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