आधुनिक हिंदी कविता में राष्टीय भावना | Aadhunik Hindi Kavita Me Rashtriy Bhavna
श्रेणी : इतिहास / History, काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.78 MB
कुल पष्ठ :
290
श्रेणी :
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No Information available about डॉ. सुधाकर शंकर कलवडे - Dr. Sudhakar Shankar Kalvade
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राप्टीयत वा स्वरूप और उसके प्रधान तत्व । १९ पददी उस समय तक प्राप्त नहीं होती जय तक राप्ट दे निवासिया से परस्पर एकता वी भावना उत्पस नहीं होता । इस एकानुभूति वी चतना के वारण कोई जन समुदाय राज्य के नप्ट होने पर भी राप्त का रूप धारण किए रखता है। यदि इस एकता की भावना का लाप हो जायगा तो राप्ट का अस्तित्व ही सकट मे आता है। भत राप्ट को वनाय रखन के लए एकता की भावना वी नितात आवश्यकता है । राष्ट्र की परिमापा यदि इस घात पर विचार किया. जाय कि राज्य अथवा राप्ट वा प्रादु भाव कच और बस हुआ ता हम तथा. सनादिज्ञान का आश्रय सना पडगा । मानव सभ्यता व इतिहास व॑ प्रारम्भिव काल को दृष्टि मे रख्त हुए बहुत से विद्वाना ने अपना-नपनी खाज वे अनुसार भिन्न भिष्न सिद्धान्तो वी स्थापना मी है । पहर कुछ मनुप्यो न मिलकर एक परिवार क॑ रुप में रहना प्रारम्भ क्यि। होगा । कुछ परिवार मिलकर एव कुल से सहन रूगे हंगि । ज्यानज्या नसणिक सामुदायिक मनोभावना वा दिवस होता गया इन कुल ने मिलकर कंवीला और इसा प्रवार अनेव कवीला का सयुक्त रूप जव किसी निश्चित स्थान पर बस गया तो राज्य बहलाया । उस राज्य पर शासन द्वारा प्रमुत्तव प्राप्त वरन के लिए राजनतिंक चतना वा विकास ही राप्ट निर्माण मे सहायक हुनां । नयात यह सारा प्रगति कोई एक दिन का बाम नहीं है बरन वर्षो के धीरे घर हानव ल सनोजनानिव परिदतन वा फल है जिसका मूलभूत जाघार मनुष्य की सहज सामुदायिक भावना हा है । इस सहयोग तथा. मिल जुठ वर रहने का मनोवत्ति को जाति तथा धम की एकता स पर्याप्त पुष्टि मिला जिससे मनुष्यों के समूह न अपने आप वो एवं विष भाषा सामा य रीति रिवाजा तथा घम विश्वासा म बाघ शिया । सामूहिक जीवन यतीत करन मे उहें का सामना बरना पडा भौर इसील्ए समाज की यवस्था को स्थिर रखने क लिए उहानि कुछ नियमों का वधन निर्वारित कर लिया । अत मे अपनी जीवन रक्षा तथा अर्गाति के लिए जिस राजनीतिव एकता की आवश्यकता का अनुभव हुआ उसने ही राप्ट को सच्च अथों मे जम दिया । वर्गेंस न राप्ट के विपय मे लिखा है-- एक जनसमुदाय जिसका भाषा एवं साहित्य राति र्विज त्तथा भल्नवुरे वी चेतना सामाय हो और जो भौगालिक एकता युक्त प्रदेश म रहता हो राप्ट कहलाता है । इस परिभाषा वी श्रुटियाँ स्पष्ट है । जाज कल समाम भाषा एवं साहित्य भौगालिक एक्ता-युक्त की भी आवदइ्यक्ता नहीं है | पाक्स्तात को भौगोल्कि एकता प्राप्त नहों है और भारत में अनेक
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