ब्रज-लोक-साहित्य का अध्ययन | Braj Lok Sahitya Ka Adhyyan
श्रेणी : साहित्य / Literature
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लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
84 MB
कुल पष्ठ :
612
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ विषय-प्रवेश
अँग्रेजी में फोक्लोर कहते हैं। अथवा यह कहिए कि फोक्लोर के लिए
हमने 'लोकवार्ता' शब्द का प्रयोग किया है। फोक्लोर का प्रचलित
अर्थ है जनता का साहित्य, ग्रामीण कहानी आदि | परन्तु हम उसका
अर्थ करते हैं जनता की वार्ता । जनता जो कुछ कहती' और सुनती
अथवा उसके विषय मे जो कु कहा ओर सुना जाता है वह सव
लोकवात है । जिस प्रकार प्रत्येक देश की अपनी... एक माषा होती है.
उसरी प्रकार अपनी एक _लोकवातो. भी होती है। जनता के मानस मे.
लोकवाती का जन्म होता ই। ২ किसी एक देश की लोकवा
की पूरा और विधिषत-संम्रह . किया जाग्रे तो वहां के निवासियों की
अमीत से लेकर अब्र तक की वद्धिक, नतिकः धार्मिक एवं सामाजिक
अवस्था का एक सम्पूर्ण चित्र हमारे समक्ष उपस्थित हो जाएगा ॥
इसी सम्बन्ध में ऐनसंइक्लोंपीडिया त्रिटानिका में 'फोकडांसिंग'
( लोकनृत्य ) निबन्ध में फोक ( लोक ) की यह व्याख्या दी गयी है।
_ एक आंदिम जाति में वे सभी व्यक्ति 'फोक' ( लोक ) होते हैं, जिनसे
बह समुदाय बना है, और शब्द का विशद्तम अर्थ लिया जाय तो
इसका अ्योग सभ्य राष्ट्र की समग्र जनसंख्या के लिए भी किया जा
सकता है। फिर भी पाश्वात्य प्रकार की सभ्यता की दृष्टि में इस
शब्द का साधारण अयोग [ ऐसे समस्त पदों में जेसे फोकलोर
( लोकवार्तो ), फोक-म्यूजिक ( लोकसंगीत ) आदि ] संकुचित
श्र्थ में प्रमुखतया केवल उन्हीं के लिए आता है. जो नगर-संस्क्ृति की
धाराओं तथा विधिवत् शिक्षा से बाहर पड़ जाते हैं, जो निरक्षर हैं
अथवा कम पढ़े हैं और गाँवों अथवा जनपदों में निवास करते हैं ।”
इसी 'ऐनसाइक्नोवीडिया ब्रिटानिका” में 'फोकलोर” करा यह
इतिहास दिया हुआ है :
४१८४६ में डबल्यू० जे० थामस ने यह शब्द सभ्य जातियों
में मिलनेषाले असंस्कृत समुदाय की प्रथाओं, रीतिरिबाजों तथा
मूदमाहों को अभिव्यक्त करने के लिए गढ़ा था.। शब्दों के शथे परि-
भाषाओं द्वारा नियत नहीं होते, श्रयोग. द्वारा होते हैं. और :आज़
लोकवातो के क्षेत्र में वह भी आ जाता है जिसे आरम्भ, की. परिभाषा
में जानबूक कर बाहर रखा गया था, यथा लोकप्रिय कलायें तथां
तीन
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