हिंदी एकांकी | Hindi Ekanki

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Hindi Ekanki by डॉ. सत्येन्द्र - Dr. Satyendra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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शोर विकास १9 वि वि मा जाम जिम या पाक मय कवि थी फिट जायगा । विविध दृश्य सामग्री का झमाव है । कथान. भी अत्यन्त सीधा । हाँ वचनों में रस का-पुट द्वोनें से मन प्रभावित होता हैं। रूपक होने के कारण डी पात्र साघारण मावव-जाति के नदी कथा सें शतान्दियों की कहानी को प्रतीकों में प्रकट कर दिया है । का छाक्रमण और अत्याचार तथा अँगरेजो को उनसे राज्य छोन लेना--सभी का रुपक इसमें आ गया है । यहद तो चहद रुपक है जो बंगला से लिया गया । अब एक हिन्दी अ्रहसन भी इसी युग का हमें मिलता है--यों तो नगरी श्और विधस्य विषयौ- पघमूर मी प्रदसन हैं पर वे तो विख्यात व्यक्त के लिखे हुए हैं । उच्न काल के श्रन्य व्यक्ति साधारणुतया केसे प्रइसन लिखते थे यह दम ह्िन्दी-प्रदोप % में हो अ्रकाशित जेसा काम देसा परिणाम के श्रष्ययन से जान सकते हैं । इुश्य खुलता है--स्थान--जनानखाने में रसोई का घर । प्रदीप दाथ में लिये शशिकला का प्रवेश । शशिकला पतित्रता छ्ली उसझा पति तीन दिन से गायब है वद्द जानती है कहाँ गया है फिर भी वह उसकी चिन्ता में है । राघावज्नम उसका पति आता है और भोजन में शोरवा न दोने के कारण उसे घक्का देकर चला जाता है । बद्द गिर पड़ती है खाना फल जाता है उसकी पढ़ौ- सिंन दूध लेने श्राती है वद्द पूछती है तो कहती है कि मैं ठोकर खाकर गिर पढ़ी वे भूखे चले गये दुखी है । तब दूसरा गर्भा्ुत-स्थान--मोहिनी का घर । मोहिनी और राघावल्ञम बेठा है पास भोजन और ग्लास रखा है । मोहिनी वेश्या है श्यौर बसन्त की रखेली है वी सब खनच करता हैं । राघावल्लम से बातें हो रही हैं झि बसन्त आर जाता हैं । मोहिनी राधावल्लभ को ख्री के चल्न पहुचा कर छिपा लेती है । उसे माँ बताकर पढ़ले वसन्त को पेड़ा लेने बाजार मेजती है फिर एानी मेंगाती है फिर धोती मंगाती है श्र माँ के नाम से राधावल्लभ की विदा कर देती है । बसन्त कहता है तो झादमी था सी मोहिनं उसे छोड़ जाती है। बसन्त को श्रब ज्ञान होता है । वह अन्त में कदता है दर्शक मदाशयो बच्चे रहना देखिये कहीं यद्दी परिणाम शाप लोगों का मीन जवनिका पतन । क हिंन्दी-प्रदोप १ ्क्द्बर १८७८ वर्ष २ सं० २




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