देवनागरी उर्दू - हिंदी कोष | Devnagari Urdu-hindi Kosh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
28.84 MB
कुल पष्ठ :
518
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)श्ड
कुछका उच्चारण तो पूरे * न * के समान होता है और झुछका आधा अथौत
अध-चन्द्र <' वाले उच्चारणके समान होता है । फिर फारसीका एक श्रत्यय
“ मीं ' है जो शब्दोंके अन्तमे छगता है । पर इसका उन्चचारण कद्दी तो * मी *
होता है, जैस--अन्दोहगी; और कहीं “ गीन * भी होता है; जैस--गृमगीन ।
अखी-फाससी दाव्दोको हिन्दीमें लिखनेमे एक और कठिनता होती है ।
हिन्दीमे ऐसे बहुतसे दाब्द प्रायः अक्षरोंके नीचे बिन्दी लगाकर लिखे जाति हैं;
. लैसे--कानन, महफूऩ आदि । पर छापेमे कददी कहीं और विशेषतः कुछ संयुक्त
अक्षरोके नीच इस प्रकार बिन्दी छगाना कठिन दो जाता है । छापेमें विन्दी
लगा हुआ ' अर्थात् * गू * तो होता है, पर आधा ग” अर्थात् ग”
ब्िन्दी लगा हुआ नहीं होता | और इसी लिए; “ इग्लाम” आदि शब्द
लिखनेमे कठिनता होती है और विशेष युक्तिसे * र * के नीचि बिन्दी ठगाई.
जाती है । जहदें तक दो सका है; ऐसे अक्षरोके नीचे भी बिन्दी गानिकाः
श्रयत्न किया गया है. । पर यदि /कही भूलसे बिन्दी छूट गई हो; तो छापेखानि-
वालोकी कठिनता और असमर्थताका यान रखकर पाठकोकों स्वयं ही श्रसंगठे
ऐसे झाव्दोके टीर्क उच्चारण समझ लेना नादिए, |
एक बात और है । मुख्य दब्दक साथ तो व्युत्पत्तिवाढे कोष्ठकम उसका
शुद्ध रूप दें दिया गया है; परन्ठ यौगिक दाब्दोके साथ इसलिए ऐसा नदी
किया ' गया है कि इससे ' विस्तार बहुत कुछ बढ जाता | उदाहरणके लिए,
' नजारा * दाब्दके आगे उसका झुद्ध अखी रूप नज्ज़ार ' तो दे दिया गया
है, पर * नज़ाराबाज़ी ” मेव्युत्पत्तिवाले केंवल “ अ० न फा० ही
लिख दिया गया है । ऐसे अवसरोपर ' पाठकोंको यद्द नहीं समझ 'ेना चाहिए:
कि झुद्ध रूप * नजारा * ही है; बसिकि * नजारा * झुन्दका शुद्धि रूप जांनेनेके
लिए, स्वय उस दाव्दका - व्युत्तिवाला कोष्टक देखना चाहिए; ज्हें लिखा
हैं--- अ० । ”
दाब्द ऐसे हैं जो अखीके हैं और अखीाम उनका स्वतन्त्र अर्थ होता
है पर वद्दी शब्द फारसीमें भी प्रचलित हैं और फारसीमें उनका
अलग और अरीवाले अ्थसे भिन्न होता है'। ऐसे शब्द आरम्ममे
तो एक' दी स्यानपर' लिखें गये हैं, पर जहाँ एक भाषाका अर्भ समासत हो
जाता है, वहीं फिरसे संज्ञा; विशेषण आदि लिखकर व्युत्पत्तिवाले कोष्टकर्में
प्रा
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