राजनीति से दूर | Rajaniti Se Dur
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
196
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about पंडित जवाहरलाल नेहरू -Pt. Javaharlal Neharu
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)छुटफारा
भोति में व्यमिचार और आदणों से पतन की ओर संककंत करती ।
बया इन सबके पास फिर छोटकर जाना उचित है? হয়া
इनसे सम्बन्ध स्थापित करता अपने जीवन के उद्योगों को
व्यू कर देना नही हू? “यहां द्वान्ति हे, नीरवता है, स्वस्थता
हैं और संगी-साथियो के रूप में यहां বক্ষ ই, অহ ই, অব
तरह के फूलों भौर पने पेडो से खदे हए परवतो के बाजू हं मोर
हैं पक्षियों का वालरव गान यही वायु ने धीरे-ते मेरे कानो
में कहा और उस वासंती दिन वी मनमोहक रमणीयता में
मेने उसे अपनी बात बहने से रोका नहीं।
पहाओर प्रदेश में अभी दसन्त वग प्रभात ही था, अग्चे
नीचे समतरू की ओर ग्रीप्म झाबिने छगा था | पहाडियो पर
गुटायक्षी तरट् वष्ट बन्दर रो्धोडेन इन (1९1०१०९
0707) पृष्पो से रजित छाल-लालू स्थ८ दूर से हो दोखते
थे। पेड़ फलों से लदे हुए थे और अनगिनत पत्ते अपने नवीन,
पगेमठ और सुन्दर हरे बरत्रो से अनेक बृक्षो पी नग्नता दूर करने
हे छिए यस निवछना ही घाहते थे ।
'सालो' से चार मील पद्धह सो पुट अचे पर विनसर
हूँ। हम वहां गए और एक चिररमरणीय दृश्य देखा । हमारे
धामने तिब्यत थो पहाड़ो से छेबर नेपाल क॑ पहाडटी तक फंछा
हुआ हिमारहूय हिम-माछा वा एक छ सो मोलशा विरतार
था घोर हसक देन्दर-र्यानं पर उचा सिर तिप नन्दादेवी
शरी दौ । रहो दिताट ধিশোক ম ধহ্রীনাঘ, মহালোখ
और हृ॒पव प्रसिद्ध हीप॑-रथान है और इनके पास ही मान-
सरोवर घर बंछास भी है । वितना मद्दन् दृश्य था वह '
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