शेर - ओ - सुखन भाग - १ | Sher O Sukhan Part -1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24.4 MB
कुल पष्ठ :
794
श्रेणी :
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No Information available about अयोध्याप्रसाद गोयलीय - Ayodhyaprasad Goyaliya
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सचनाएँ--
१--देरोसुखनके इस प्रथम भागमे प्रारम्भिककालसे श्रर्वाचीन युग
(१९०० ई० )तकके केवल गजलगों गायरोका परिचय दिया गया है ।
गजलका रथ है--इदिकिय गायरी । इसलिए गजलोंके अतिरिक्त जो
महानूभाव इसमें--गीत, नज्में, रुबाइयों, मसिये, कसीदे, मसनवियोँ
श्रादि खोजना चाहेंगे या दार्णनिक श्रौर नीति सबधी* झ्रद्श्रार देखना
चाहेंगे, अथवा राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक, श्राथिक प्रइ्नोपर विचार
विनिमय चाहेंगें या किसी नेता झ्रादिकी प्रदास्ति खोजना चाहेगे, तो वे
घानके खेतमे बाजरा ढूंडेगे ।
२--पुस्तकमे प्राय उन्हीं ख्यातिप्राप्त जायरोका उल्लेस किया गया
हैँ, जिन्हें कि ऐतिहासिक महत्ता प्राप्त है । ऐसे बहुत-से शायर छूट गये हे,
गी कहनेको तो उस्ताद हुए हूं, मगर कलाम वागिरदेंसि भी हलका है
श्रथवा जिनके न तो कलामका नमूना मिलता है, न विद्षेष परिचय ही |
श्रौर इससे श्रधिम समावेदकी पुस्तकके आाकारने भी इजाजत नही दी !
भ्रनुक्रमणिकामें ऐसे बहुत-से छायरोकी तालिका दी गई हू; जिनका
एक-एक दो-दो नेर भी दिया जाता तो पुस्तकका कलेवर दुगुना हो गया
होता ।
3--हमारा मुख्य लक्ष्य उत्तमोत्तम थ्रणश्रारसे हिन्दी भण्डार-
भरनेका रहा है । झ्तः हसने लायरोका सभी तरहका कलाम न देकर
हजार-हा श्रणश्मारमे-से गिनतीके श्रेष्ठ-से-श्रेष्ठ डोर देनेका प्रयत्न किया
'प्रसंगवदा ससनवीके २-१ बोर श्रा गये हे ।
इस तरह के श्रदाग्मार थी सिलेंगे, सगर आ्ाटेमें नमकके ससान ।
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